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क्या भारत में टिक पाएगी मस्क की ईवी?

टेस्ला की भारत में एंट्री: बड़ा बाजार, छोटा खरीदार

स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
मुंबई | 15 जुलाई 2025

बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स की चमचमाती सड़कों पर सोमवार सुबह कुछ अलग ही रौनक थी। शीशे के आलीशान शोरूम में टेस्ला की Model Y की पहली झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ी थी। एलन मस्क की बहुचर्चित इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने भारत में अपने सफर की शुरुआत कर दी है। लेकिन इस हाई-प्रोफाइल लॉन्च के बीच एक बड़ा सवाल तैर रहा है — क्या भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाजार में टेस्ला टिक पाएगी?

टेस्ला की पहली पेशकश Model Y की कीमत ₹60 लाख से ₹70 लाख के बीच रखी गई है। यह कीमत भारत में बिकने वाली औसत कारों की कीमत से छह गुना ज्यादा है। भारत में जहां कार खरीदना केवल यात्रा का माध्यम नहीं, बल्कि एक स्टेटस सिंबल है, वहीं ग्राहक “वैल्यू फॉर मनी” को प्राथमिकता देता है। ऐसे में टेस्ला जैसी प्रीमियम ब्रांड के लिए अपने लिए जगह बनाना आसान नहीं होगा।
₹50 लाख से ऊपर की कारों का भारतीय बाजार अभी भी बेहद सीमित है। 2024 में इस सेगमेंट की कुल हिस्सेदारी मात्र 1 से 1.5% रही। मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी और पोर्शे जैसी कंपनियां पहले से यहां मौजूद हैं, और टेस्ला को इन्हीं के बीच अपनी जगह बनानी होगी। भारतीय ग्राहकों के भरोसेमंद विकल्पों में टाटा, महिंद्रा और हुंडई जैसी कंपनियां पहले ही ₹20-30 लाख रेंज में शानदार इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ पेश कर चुकी हैं।

नीतिगत और कर संबंधी चुनौतियाँ

फिलहाल भारत में बेची जा रही टेस्ला गाड़ियाँ चीन से आयातित हैं। भारत की मौजूदा नीति के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों पर 70% से अधिक इंपोर्ट ड्यूटी लगती है, जिससे कीमतें लगभग दोगुनी हो जाती हैं। सरकार ने हालांकि नई EV नीति के तहत ₹4,150 करोड़ के निवेश पर टैक्स छूट देने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन एलन मस्क की ओर से अब तक भारत में मैन्युफैक्चरिंग को लेकर कोई ठोस घोषणा नहीं की गई है।

ब्रांड इमेज बनाम बाजार सच्चाई

टेस्ला का नाम ग्लोबल इनोवेशन का प्रतीक है। लेकिन भारत जैसे देश में केवल नाम से गाड़ियाँ नहीं बिकतीं। उदाहरण के तौर पर, एप्पल जैसी कंपनी की भारत में बाजार हिस्सेदारी आज भी 10% से नीचे है, जबकि अमेरिका में यह 40% के करीब है। यानी ब्रांड की चाह है, लेकिन जेब की मजबूरी भी।

घरेलू खिलाड़ियों की चुनौती

टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियाँ पहले ही भारतीय बाजार में गहराई से जमी हुई हैं और तेजी से EV पोर्टफोलियो बढ़ा रही हैं। एक प्रमुख भारतीय ऑटोमोबाइल ग्रुप के अध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर एलन मस्क को चुटकी लेते हुए चुनौती दी — “चार्जिंग स्टेशन पर मिलते हैं!” यह संदेश साफ है — टेस्ला को हल्के में मत लो।

चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की बाधा

टेस्ला ने भले ही दिल्ली और मुंबई में सुपरचार्जिंग स्टेशन लगाने की बात की हो, लेकिन देशभर में नेटवर्क खड़ा करना लंबा और खर्चीला काम होगा। जब तक यह बुनियादी ढांचा नहीं बनता, टेस्ला की पहुंच कुछ चुनिंदा शहरी इलाकों तक ही सीमित रहेगी। अगर टेस्ला भविष्य में ₹40–45 लाख की रेंज में कोई मॉडल पेश करती है, तो वह उन ग्राहकों को लुभा सकती है, जो ब्रांड वैल्यू के लिए कुछ अतिरिक्त खर्च करने को तैयार हैं। लेकिन उसे यह समझना होगा कि भारतीय ग्राहक केवल नाम नहीं, भरोसा और सेवा भी चाहता है।

क्या दोहराएगा इतिहास खुद को?

हर्ले डेविडसन, शेव्रले और फोर्ड जैसी कंपनियों की एंट्री भी कभी सुर्खियाँ बनी थीं, लेकिन बाजार को समझने में चूक के कारण उन्हें भारत से विदा लेनी पड़ी। टेस्ला को इससे सीखना होगा।
भारत में EV का भविष्य उज्ज्वल जरूर है, लेकिन अभी शुरुआती चरण में है। अगर एलन मस्क भारत को केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार मानते हैं और यहां उत्पादन, रोजगार व तकनीक साझा करते हैं, तो टेस्ला को सफलता मिल सकती है। वरना यह एंट्री भी एक भव्य लेकिन क्षणिक तमाशा बनकर रह जाएगी।

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