
✒️ रिपोर्टःरोशन मिश्रा/लखनऊ
उत्तर प्रदेश की डबल इंजन के दम पर चलने वाली बीजेपी सरकार यों तो अपने कार्यकाल के पहले साल से ही भिन्न-भिन्न कारणों से चर्चा में रहती आयी है। बीजेपी सरकार के भीतर कभी कार्यकर्ताओं में असंतोष की ख़बरें पढ़ने को मिलती हैं, तो कभी बीजेपी के चुने हुए जन-प्रतिनिधियों के भीतर आपसी मन-मुटाव और आरोप-प्रत्यारोप की ख़बरें जहां मीडिया जगत में सुर्खियों में छाई रहती हैं, वहीं विपक्ष भी इन ख़बरों से संजीवनी लेने की कोशिश में लगा रहता है।फ़िलहाल इस सरकार में सबसे अधिक चर्चा में रहने वाला विभाग ‘ऊर्जा मंत्रालय’ ही नज़र आता है। इस विभाग की बागडोर एक पूर्व नौकरशाह अरविंद कुमार शर्मा को सौंपी गई है। शर्मा जी ऊर्जा मंत्रालय के साथ शहरी विकास मंत्रालय को भी बतौर कैबिनेट मंत्री देख रहे हैं। अरविंद कुमार शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र नौकरशाहों में गिना जाता है। शर्मा जी के व्यवहार में सौम्यता और विचारों में ‘जय श्री राम’ की भावना को महसूस किया जा सकता है।प्रदेश में बिजली व्यवस्था को लेकर आ रही समस्याओं पर ए. के. शर्मा काफी संजीदा दिख रहे हैं। वृहस्पतिवार को बिजली विभाग के कर्मचारियों के साथ ऊर्जा मंत्री ने विभागीय समस्या को लेकर मीटिंग की थी। उस मीटिंग में उनके द्वारा उदाहरण देते हुए कुछ ऐसे शब्द बाहर आ गये, जिसके वायरल होते ही हंगामा खड़ा हो गया। उसके बाद उन्होंने आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने हैंडल से एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की।बहरहाल, मीडिया रिपोर्टों और सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है कि आज यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की ऊर्जा विभाग के साथ समीक्षा बैठक हो सकती है।
अरविंद शर्मा के पोस्ट को लेकर मची खलबली!

वृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा और शहरी विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट साझा किया। उस पोस्ट पर लिखे गये शब्दों को पढ़कर लोग तरह-तरह के अनुमान लगा रहे हैं। दरअसल, उन्होंने प्रदेश में बिजली व्यवस्था के मुद्दों को लेकर सम्बंधित अधिकारियों को साथ मीटिंग की थी। इस मीटिंग में वे बिजली की समस्या और जनता की तकलीफों को लेकर अधिकारियों पर जमकर बिफर पड़े थे।
इसी मीटिंग के दरमियान उनके द्वारा बोले गये कुछ शब्दों को लेकर मीडिया में काफी हो-हल्ला मच गया, जिस पर अपनी सफाई देते हुए उन्हें इस मुद्दे को लेकर एक्स पर एक लम्बा-चौड़ा पोस्ट लिखना पड़ा। श्री शर्मा ने एक्स पर लिखा कि कल बिजली के अधिकारियों के साथ औपचारिक मीटिंग में जनसेवा को सामान्य-गरीब नागरिक के प्रति संवेदनशील व बेहतर बनाने तथा जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने हेतु हमने कुछ बातें कहीं थीं।
उन्होंने कहा कि अन्य बातों के साथ हमने कहा था, “हम एक पब्लिक यूटिलिटी चला रहे हैं; पब्लिक सर्विस चला रहे हैं। हम कोई बनिया की दुकान नहीं चला रहे हैं कि पैसा नहीं दिया तो सामान नहीं मिलेगा।” ऊर्जा मंत्री के इन्हीं शब्दों ने तेजी से तूल पकड़ लिया, जिसके बाद हंगामा मचना तय था।
ऊर्जा मंत्री ए. के. शर्मा ने अपने बयान को लेकर दी सफाई

अरविंद कुमार शर्मा ने अपने पोस्ट में आगे लिखते हुए कहा कि हमारे इस कथन का असली वीडियो यहां प्रस्तुत है। लेकिन इसका ग़लत मतलब यह सोचकर निकाला जा रहा है कि हमने कहा था, “हम कोई बनिया की दुकान नहीं चला रहे कि पैसा दे दिया और सामान नहीं मिलेगा।”
ऊर्जा मंत्री ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि इसे बनिया/वैश्य वर्ग की ईमानदारी और बेईमानी से जोड़कर देखा जा रहा है। अरविंद कुमार शर्मा ने निवेदन करते हुए लिखा कि कृपया आप लोग मेरा वीडियो ध्यान से सुनें। जो सोचा जा रहा है, वैसा कुछ भी मैंने कहा ही नहीं है और न ही ऐसा कहने का कोई इरादा था।
ऊर्जा मंत्री ए. के. शर्मा ने अपनी बात को स्पष्ट रूप से रखते हुए कहा कि मेरे शब्दों की भावना यह थी कि बिजली विभाग ख़ाली बिल के पैसे वसूलने के लिए काम नहीं कर सकता। यह एक जन सेवा है और हमें उसी हिसाब से ही बर्ताव करना पड़ेगा।
इसके अलावा, पूरा फीडर या गांव की लाइन काटने पर हमने कहा कि उसमें आने वाले उन उपभोक्ताओं की क्या गलती है, जो समय से बिल भर रहे हैं, और उनका जला हुआ ट्रांसफार्मर नहीं बदलना या उच्चीकरण नहीं करना कौन सा न्याय है!
अरविंद कुमार शर्मा ने अपनी बातों पर जोर देते हुए कहा कि ये सारी बातें और उसकी वीडियो पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं। कृपया आप स्वयं ध्यान से सुन लें और फिर जांच लें। अपने पोस्ट में ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों के साथ मीटिंग में प्रयोग किए गये ‘बनिया’ शब्द के अर्थ पर प्रकाश डालते हुए लिखा, “आज दिन में मैंने यह भी स्पष्ट किया कि बनिया का अर्थ किसी वर्ग विशेष से नहीं है। इस शब्द को मात्र पब्लिक सर्विस/पब्लिक यूटिलिटी और कॉमर्शियल या बिज़नेस वेंचर में फ़र्क़ बताने के लिए कहा था।”
अरविंद कुमार शर्मा ने बनिया वर्ग की तारीफ कर उनके वक्तव्य से उपजे भ्रम की स्थिति को और भी साफ करते हुए लिखा, “महाजन, वैश्य या बनिया वर्ग समाज का बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित वर्ग है। पुरातन समय से भारतीय समाज और संस्कृति में उनका उच्च स्थान है। मैं उनका पूरा आदर करता हूं।”
अन्त में, ऊर्जा मंत्री ए. के. शर्मा ने अपनी भावनाओं को जन पटल पर रखते हुए लिखा कि मन, वचन, कर्म से, जाने या अनजाने किसी भी प्रकार से उनको नीचा दिखाने का कोई इरादा नहीं था। और न ही कभी हो सकता है।
अरविंद कुमार शर्मा की कार्य-प्रणाली

ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा बिजली विभाग को बतौर मंत्री सम्हालने से पहले एक कुशल नौकरशाह रह चुके हैं। उन्हें जन मुद्दों की समझ है। अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों से ही बिजली व्यवस्था को लेकर उनकी सक्रियता चर्चा में रही है।
हालांकि, यह भी सच है कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं से लेकर उसके जन-प्रतिनिधियों तक की पीड़ा रही है कि यूपी सरकार में अधिकारियों के प्रभाव के सामने वे बेबस नजर आते हैं।
बहरहाल, इसका ताज़ा उदाहरण हाल ही में कानपुर में बीजेपी सरकार में मंत्री प्रतिभा शुक्ला और उनके पति सुनील शुक्ला वारसी, जो कि पूर्व सांसद भी रहे हैं, अपने ही सरकार में अधिकारियों को लेकर अपनी पीड़ा बयां कर चुके हैं। इसके अलावा भी मीडिया रिपोर्टों में ऐसे कई सारे उदाहरण पहले से ही दर्ज़ हैं, जहां बीजेपी के नुमाइंदों की बेबसी में कहीं नौकरशाही है, तो कहीं अधिकारियों की मनमानी।
ऐसे में बिजली मंत्री ए. के. शर्मा आये दिन बिजली की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति, ट्रांसफार्मरों के जलने और जर्जर तारों के टूटने की समस्याओं पर एक्स पर पोस्ट शेयर करते रहते हैं।
ऊर्जा मंत्री और बिजली विभाग के कर्मचारियों के बीच क्या सब कुछ ठीक चल रहा है!

यूपी में कभी बिजली कर्मियों के निजीकरण, तो कभी कर्मचारियों के उत्पीड़न के मामलों को लेकर ऊर्जा मंत्री ए. के. शर्मा और बिजली विभाग के कर्मचारियों व अन्य संगठनों की नाराज़गी और धरना-प्रदर्शन की ख़बरें हमेशा सुर्खियों में रहती हैं।
उत्तर प्रदेश का बिजली विभाग एक ऐसा विभाग बन चुका है, जहां से आये दिन ऊर्जा मंत्री को लेकर तरह-तरह की ख़बरें आती रहती हैं।
सर्वविदित है कि अरविंद कुमार शर्मा एक पूर्व आईएएस अधिकारी रहे हैं, इसलिए उनके भीतर का प्रशासनिक अनुभव कहीं न कहीं उनके राजनीतिक करियर में भी देखा जा सकता है। उन्होंने अपने विभाग के आक्रोश को दरकिनार कर, आम उपभोक्ताओं की तरह बिजली कर्मियों के घरों में भी स्मार्ट मीटर लगवाने का निर्णय लिया था, जिसको लेकर उनके ख़िलाफ़ बिजली कर्मियों में रोष व्याप्त हो गया।
