
वट सावित्री व्रत वट सावित्री पूजा मुहूर्त सावित्री और सत्यवान वट सावित्री मुहूर्त – 6 जून को ज्येष्ठ अमावस्या है। इस दिन स्त्री वट सावित्री का व्रत अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करती हैं। माना जाता है कि सावित्री ने सत्यवान को वटवृक्ष के नीचे ही नवजीवन दिया था। वट सावित्री व्रत और पूजन अवश्य ही स्मरणीय है। वट वृक्ष की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र की दुआ मांगती हैं।
2024 में वट सावित्री अमावस्या पर विशेष योग बन रहा है। यह योग न केवल पति को आरोग्य और आयु देगा बल्कि उन्हें धन संपत्ति देनेवाला भी साबित हो सकता है। दरअसल 6 जून को रोहिणी नक्षत्र रहेगा। रोहिणी नक्षत्र बहुत ही शुभ माना गया है। इस नक्षत्र में शुभ कार्य और पूजा पाठ का कई गुना फल मिलता है।
2024 में वट सावित्री अमावस्या पर विशेष योग बन रहा है। यह योग न केवल पति को आरोग्य और आयु देगा बल्कि उन्हें धन संपत्ति देनेवाला भी साबित हो सकता है। दरअसल 6 जून को रोहिणी नक्षत्र रहेगा। रोहिणी नक्षत्र बहुत ही शुभ माना गया है। इस नक्षत्र में शुभ कार्य और पूजा पाठ का कई गुना फल मिलता है।
इसके साथ ही रोहिणी नक्षत्र में पूजा उपासना से मानसिक स्थिति बेहतर होती है। भय से छुटकारा मिलता है। माता के साथ रिश्ते अच्छे होते हैं।
सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत की पूजा करती हैं। 108 परिक्रमा कर वट वृक्ष में धागा बांधती हैं। ज्योतिर्विद पंडित अरुण बुचके बताते हैं कि वट सावित्री व्रत के प्रभाव से ही सती सावित्री ने अपने पति के प्राण यमराज से वापस ले लिए थे।
वट सावित्री के दिन महिलाएं सुबह स्नान कर सोलह श्रंगार करें। सावित्री को देवीस्वरूप मानकर उनकी पूजा करें। बरगद के पेड़ की विधि विधान से पूजा करें और परिक्रमा लगाएं, उसके बाद ही कुछ व्रत का भोजन ग्रहण करें।