
तब लोकदल के नेता रहे मुलायम सिंह यादव और मोहन सिंह ने सरकार पर फर्जी मुठभेड़ कराने का आरोप लगाया था
स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
लखनऊ।
यूपी में वीपी सिंह के आदेश पर डकैतों के धड़ाधड़ एनकाउंटर हुए थे। इस नरसंहार के बाद मुठभेड़ बढ़ी थी। सरकार ने आत्मसमर्पण को हल नहीं माना था। सिंह ने कहा था कि पांच साल तक भी पुलिस को डाकुओं के पीछे लगाए रखेंगे।
उत्तर प्रदेश में कुछ समय से पुलिस मुठभेड़ पर सियासी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का एनकाउंटर जारी है। इससे पहले भी पुलिस मुठभेड़ पर प्रदेश में खूब राजनीति हुई है। साल 1980 में विश्वनाथ प्रताप सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे।
उनके दो साल 39 दिन के कार्यकाल में एक हजार से ज्यादा एनकाउंटर हुए थे। इस पर तब लोकदल के नेता रहे मुलायम सिंह यादव और मोहन सिंह ने सरकार पर फर्जी मुठभेड़ कराने का आरोप लगाया था।
दरअसल, 1975 से लेकर 1985 के बीच प्रदेश के कई जिलों में डाकुओं का आतंक था। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 9 जून 1980 को सीएम पद की शपथ ली। कुछ सप्ताह बाद ही उन्होंने डकैतों के खिलाफ अभियान शुरू करा दिया। करीब-करीब हर दूसरे दिन पुलिस मुठभेड़ की खबरें सुर्खियों बनने लगीं।
वीपी सिंह को सीएम बने एक साल भी नहीं बीता था कि कानपुर के बेहमई में डकैत फूलन देवी ने 14 फरवरी 1981 को 20 ठाकुरों की हत्या कर दी।
एक बड़े अखबार में ‘फूलन देवी द्वारा प्रेमी विक्रम की हत्या का बदला’ शीर्षक से प्रकाशित खबर के मुताबिक, नरसंहार में फूलन देवी के साथ मुस्तकीम, राम प्रकाश और लल्लू समेत 25 डकैत शामिल थे। वीपी सिंह ने सभी डकैतों को खत्म करने का आदेश दे दिया। इसके बाद यूपी में मुठभेड़ की संख्या अचानक बढ़ गई।

डकैतों के खिलाफ जारी रहा था अभियान
बड़े अखबार के अनुसार 26 मई 1981 को ‘डाकुओं का आत्म समर्पण कराने का कोई प्रयास नहीं’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई। खबर के मुताबिक, वीपी सिंह ने कहा था कि सरकार डाकुओं का आत्मसमर्पण कराने का कोई प्रयास नहीं करेगी। उनके खिलाफ पूरी ताकत के साथ अभियान जारी रहेगा। बाद में फूलन ने मध्य प्रदेश में सरेंडर किया।