
स्वराज इंडिया संवाददाता, बिल्हौर(कानपुर)। प्रदेश सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लाख कोशिश कर रही हो, लेकिन भ्रष्टाचार लगातार अपनी जड़े गहरी करता चला जा रहा है। ऐसा ही एक मामला कानपुर जनपद के बिल्हौर तहसील से सामने आया है। जहां ढ़ाई करोड़ की अधिक लागत से बनी पानी की टंकी आठ महीने भी नहीं चल पाई और फट गई। अब सवाल यह उठता है कि क्या निर्माण में मानकों का पालन नहीं किया गया था। हालांकि इस बारे में कोई भी अधिकारी सीधे तौर पर बोलने को तैयार नहीं है।दरअसल जल जीवन मिशन कार्यक्रम के तहत जलापूर्ति के लिए कम्पनी विंध्या टैलीलिंक्स लिमिटेड गाजा इंजीनियरिंग प्रा. लि (जे.वी) के द्वारा बिल्हौर ब्लॉक के रहीमपुर-करीमपुर गांव में डेढ़ लाख लीटर की क्षमता वाली एक पानी की टंकी का निर्माण किया गया।

टंकी का निर्माण कार्य आठ महीने पहले ही पूरा हुआ था। टंकी का निर्माण कार्य पूरा करने में 241.54 लाख रूपये की लागत आई। शनिवार को टंकी में पानी भरने के दौरान टैंक अचानक धमाके के साथ फट गया। पानी का टैंक फटते ही आसपास अफरा तफरी मच गई। लोग घबराकर जान बचाने के लिए भागने लगे। देखते ही देखते टंकी में भरा गया पानी गांव में लोगों के घरों में भर गया। पानी का टैंक फटने से टंकी परिसर की एक साइड की दीवार भी भरभरा कर गिर गई। जिसने निर्माण कार्य में हुए भ्रष्टाचार की सारी परतें खोलकर रख दी। इस घटना की जानकारी ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान और प्रशासनिक अधिकारियों को दी। सूचना पर टंकी का निर्माण करने वाली कंपनी के लोगों ने मौके पर पहुंचकर जाँच की। ग्रामीणों ने कार्य कराने वाली संस्था पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। वहीं ग्राम प्रधान ने भी कम्पनी के ठेकेदारों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मामले की जाँच की माँग उठाई है।

ज़ब अपने ही जवाब में फंसे प्रोजेक्ट मैंनेज़र
बिल्हौर। प्रोजेक्ट मैंनेज़र का कहना है कि टंकी टेस्टिंग के दौरान फट गई है। ऐसे में हमारे संवाददाता ने ज़ब प्रोजेक्ट मैंनेज़र से सवाल किया कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद कितने दिनों तक टेस्टिंग कार्य चलता है। तो प्रोजेक्ट मैंनेज़र ने जवाब दिया कि तीन माह। अब सोचने वाली बात है कि टंकी के निर्माण कार्य को कम्प्लीट हुए करीब आठ माह बीत चुके हैं।और प्रोजेक्ट मैंनेज़र के मुताबिक निर्माण कार्य पूरा होने के बाद तीन महीने तक टेस्टिंग चलता है। और टंकी के बने आठ महीने हो गए हैं। ज़ब टंकी फटी तो बताया गया कि टेस्टिंग कार्य चल रहा था। अब सवाल उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रोजेक्ट मैंनेज़र ने खुद को अधिकारियों की कार्रवाई से बचाने के लिए टेस्टिंग का बहाना ढूंढा हो कि टेस्टिंग के दौरान टंकी फट गई। फिलहाल कानपुर जल निगम एक़्सईएन एन के सिंह ने अफसरों से बात कर ठेकेदार एवं कार्यदायी संस्था को नोटिस जारी कर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है।

मैंने ठेकेदार से कहा था टंकी लीकेज है लेकिन उसने नहीं सुनी- प्रधान
बिल्हौर। ग्राम प्रधान ने बताया कि एक सप्ताह पहले टंकी लीकेज की सूचना मैंने ठेकेदार विनय तिवारी को दी थी। लेकिन कोई सुनवाई नही हुई और यह हादसा भी हो गया। हादसे में कोई चोटिल नहीं हुआ है।अधिकारियों से बात कर इसकी जाँच करवाएंगे।