Wednesday, April 2, 2025
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दिल्ली के नतीजे से तय होगी इंडिया गठबंधन की ताकत

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष के भीतर घमासान बढ़ता जा रहा है

अजय कुमार,लखनऊ
दिल्ली विधानसभा चुनाव केवल राजधानी की सियासत का फैसला नहीं करेगा, बल्कि इसका असर देश के विपक्षी गठबंधन, इंडिया, की राजनीति पर भी पड़ेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने इंडिया गठबंधन के तहत बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी, और यह संकेत दिया था कि विपक्षी दलों की एकजुटता आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। लेकिन अब दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष के भीतर घमासान बढ़ता जा रहा है, और इस चुनाव के परिणाम केवल दिल्ली की सत्ता के लिए नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन के भविष्य और नेतृत्व के लिए भी अहम हो सकते हैं।

दिल्ली चुनाव की सियासत में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच जोरदार टकराव देखने को मिल रहा है। कांग्रेस की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं, जबकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। इस बीच, इंडिया गठबंधन के कई सहयोगी दल जैसे सपा, आरजेडी, टीएमसी और एनसीपी ने खुलकर आम आदमी पार्टी के समर्थन में आकर कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। इससे कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती जा रही है, और अब सवाल यह उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस इस चुनावी माहौल में अपनी सियासी जमीन बना पाएगी, या फिर क्षेत्रीय दल कांग्रेस की राजनीति को दरकिनार कर देंगे। इंडिया गठबंधन के अंदर नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवाल विपक्षी एकजुटता के लिए बड़ा संकट बन चुके हैं। महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जैसे नेता यह कह चुके हैं कि इंडिया गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक के लिए था, और अब इस गठबंधन का उद्देश्य खत्म हो चुका है। ममता बनर्जी और अखिलेश यादव भी अपनी पार्टी की तरफ से आम आदमी पार्टी का समर्थन कर चुके हैं, और उनकी यह टिप्पणियां कांग्रेस के लिए गहरी चिंता का कारण बन गई हैं। कांग्रेस के लिए यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है क्योंकि यह गठबंधन उसके नेतृत्व में नहीं, बल्कि क्षेत्रीय दलों के समर्थन से चल रहा है। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों के खिलाफ मोर्चा खोला है। उन्होंने दिल्ली में चुनावी अभियान के दौरान इन दोनों पार्टियों को एक जैसा बताकर निशाना साधा। राहुल गांधी का यह कदम कांग्रेस के संघर्ष को दर्शाता है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि दिल्ली चुनाव के परिणाम कांग्रेस के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होंगे। अगर दिल्ली में कांग्रेस हार जाती है, तो इससे इंडिया गठबंधन के भीतर विरोध और भी तेज हो सकता है। कई क्षेत्रीय दल जैसे सपा, आरजेडी और टीएमसी के लिए यह अवसर हो सकता है कि वे कांग्रेस को अपनी सियासी लड़ाई से बाहर कर दें और खुद को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व संभालने का मौका दें।
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने विपक्षी दलों को एकजुट किया था, और इसका फायदा भी मिला था। कांग्रेस ने 99 सीटें जीती थीं, जिससे उसकी स्थिति मजबूत हुई थी। लेकिन इसके बाद हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस को मिली हार ने उसके आत्मविश्वास को कमजोर किया। इस हार के बाद विपक्षी दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया था, और ममता बनर्जी, शरद पवार जैसे नेताओं ने कांग्रेस से गठबंधन का नेतृत्व छोड़ने का दबाव बनाना शुरू किया। यह संकेत था कि इंडिया गठबंधन के भीतर कांग्रेस का महत्व अब कम होता जा रहा है, और यह गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद बिखरता जा रहा है।

विपक्षी गठबंधन की स्थिरता को भी प्रभावित करेंगे दिल्ली के नतीजे

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे ना केवल राजधानी की राजनीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि वे विपक्षी गठबंधन की स्थिरता को भी प्रभावित करेंगे। अगर आम आदमी पार्टी दिल्ली में जीतकर चौथी बार सरकार बनाने में सफल हो जाती है, तो इससे इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर घमासान और बढ़ेगा। क्षेत्रीय दलों जैसे ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और केजरीवाल के नेतृत्व को लेकर नई बहस छेड़ी जा सकती है। कांग्रेस पर दबाव बनेगा कि वह इंडिया गठबंधन की बागडोर छोड़ दे, और इसका स्थान किसी क्षेत्रीय दल को दे

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