
स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो, बाराबंकी। महाभारत कालीन भारत की धरोहर विश्व प्रसिद्ध देव वृक्ष पारिजात की जड़ों में दीमक लगने की सम्भावना लग रही है।जब कि वन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष वनस्पति वैज्ञानिक वृक्ष स्थल पर पंहुच कर वृक्ष की धुलाई एंव दवा के छिड़काव के साथ साथ वृक्ष स्थल पर नीचे जड़ों के चतुर्दिक गोडाई करवा कर वृक्ष की देख भाल के ट्रिप्स वन विभाग कर्मियों को भी दे जाते हैं।वन विभाग की उदासीनता के चलते वनस्पति वैज्ञानिकों के बताये के अनुसार देव वृक्ष पारिजात की देखभाल सही से नहीं की जा रही है।

बताते चलें कि जिला मुख्यालय से 40 किलो मीटर दूर महाभारत कालीन देव वृक्ष पारिजात सिरौलीगौसपुर तहसील के ग्राम बरोलिया में विद्यमान है।विश्व में प्रसिद्ध भारत की धरोहर पारिजात के मात्र दर्शन पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।देश के कोने कोने से एंव विदेशी पर्यटक भी देव वृक्ष पारिजात के दर्शन को आते हैं। विशालकाय इस देव वृक्ष पारिजात में गंगा दशहरा को स्वर्ण रुपी पुष्प आते हैं जिन्हें लोग यंहा से ले जाकर अपने पूंजा स्थल पर कपूर व लौंग में रखते हैं।महन्त मंगल दास जी देव वृक्ष पारिजात वृक्ष के उपचार हेतू आशान्वित हैं कि वनस्पति वैज्ञानिकों की टीम आकर पारिजात वृक्ष की धुलाई दवा छिड़काव कर उपचार करके भारत की धरोहर को संरक्षित करेगी।