
तमिलनाडु तट से 9 मीटर लंबी ओअर फिश मिलने के बाद वैज्ञानिक और पौराणिक मान्यताएं फिर चर्चा में
चेन्नई/नई दिल्ली | विशेष संवाददाता
तमिलनाडु के तट पर हाल ही में मछुआरों के जाल में फंसी 9 मीटर लंबी एक रहस्यमयी मछली ने समुद्री विशेषज्ञों और आमजन के बीच हलचल मचा दी है। यह मछली और कोई नहीं बल्कि वही ओअर फिश है, जिसे दुनियाभर में “डूम्स डे फिश” या प्रलय की मछली के नाम से जाना जाता है। समुद्र की गहराइयों में पाई जाने वाली यह दुर्लभ मछली आमतौर पर सतह पर नहीं आती। किंवदंतियों और पूर्ववर्ती घटनाओं के अनुसार, जब भी यह मछली समुद्र की सतह पर दिखाई देती है, उसके बाद अक्सर भूकंप या सुनामी जैसी विनाशकारी आपदाएं आती हैं। 2011 में जापान में आई भयावह सुनामी से पहले भी ओअर फिश समुद्र तट पर मरी हुई पाई गई थी। उसी तरह इस वर्ष मई-जून में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और अब भारत में इस मछली का दिखना चिंता का विषय बन गया है।
वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
वैज्ञानिक समुदाय इस बात को लेकर बंटा हुआ है। कुछ विशेषज्ञ इसे संयोग बताते हैं, तो कुछ का मानना है कि समुद्र की गहराई में होने वाली हलचल — जैसे कि टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधियाँ — इस मछली को ऊपर आने पर मजबूर कर सकती हैं। समुद्री जीवविज्ञानी डॉ. रमेश नटराजन के अनुसार,
“ओअर फिश का बार-बार सतह पर दिखना हमें गहराई में चल रही प्रक्रियाओं की ओर इशारा करता है। इससे जुड़ी पौराणिक चेतावनियों को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।”
हिंदू और जापानी मान्यताओं में विशेष स्थान
हिंदू धर्मग्रंथों में भी प्रलय की चेतावनी देने वाली मछली का उल्लेख मिलता है। मनुस्मृति और भागवत पुराण में वर्णित है कि जब महाप्रलय आने वाला था, तब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर मनु को चेतावनी दी थी। ठीक वैसे ही जापान में ओअर फिश को नमाजु कहा जाता है, और इसे आपदा का संकेतक माना जाता है। सवाल बना हुआ है — क्या यह केवल एक मछली है, या प्रकृति का अलार्म?इस रहस्यमयी जीव के दिखने से भले ही विज्ञान इसे महज संयोग माने, परंतु इतिहास और मान्यताएं कुछ और ही कहती हैं। क्या हमें प्रकृति के संकेतों को नजरंदाज करना चाहिए?
