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हत्या के बाद हिंदुत्व के प्रतीक माने जाने लगे थे ‘काला बच्चा’
- दिवंगत भाजपा नेता की 31 वीं पुण्यतिथि पर जुटेंगे दिग्गज
- बीआईसी ग्राउंड में विशाल श्रद्धांजलि एवं सम्मान समारोह का आयोजन
- मंत्री, सांसद व क्षेत्रीय अध्यक्ष समेत कई भाजपाई करेंगे शिरकत
रिजवान कुरैशी, स्वराज इंडिया ब्यूरो
(कानपुर)। सूबे की सियासत में बात जब बिल्हौर विधानसभा की होती है तो निश्चित ही ‘काला बच्चा’ का नाम हर किसी की जुबां पर जरूर आता होगा । दिवंगत काला बच्चा कानपुर शहर और यूपी के लिए अनजान नहीं है। हत्या के बाद उन्हें हिंदुत्व के प्रतीक के रूप में जाना जाने लगा। कल उनकी 31 वीं पुण्यतिथि बिल्हौर के बीआईसी ग्राउंड में मनाई जाएगी। इसके साथ ही सम्मान समारोह भी रखा गया है। जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जिसमे कई दिग्गज भाजपा नेता भी मौजूद रहेंगे। मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान और विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र प्रकाश पाल व मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र से सांसद अशोक रावत समेत कई क्षेत्रीय व स्थानीय नेता कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।समारोह को भव्य बनाने के लिए कई दिनों से तैयारियां चल रही हैं। और खुद राहुल बच्चा इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए कदम-कदम पर अपनी नज़रे गड़ाए हुए हैं। समाज के हर वर्ग को समारोह से जोड़ने की कोशिश की गई है।

साँवले रंग का होने से नाम पड़ा काला बच्चा और संघर्ष से बनी अलग पहचान
बिल्हौर। काला बच्चा का नाम असल में मुन्ना सोनकर था। पुराने लोगों की मानें तो साँवले रंग का होने की वजह से ही मुन्ना सोनकर को काला बच्चा सोनकर बोला जाने लगा था। हिंदू – मुस्लिम समुदाय के बीच हुए कई संघर्षों में उन्होंने आगे बढ़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जिससे धीरे-धीरे आगे चलकर उनका यही नाम उनकी पहचान बन गया।

90 के दशक में भाजपा के टिकट से चुनाव हारकर भी जीत गए थे काला बच्चा
बिल्हौर। हिंदुत्व के रक्षक के रूप में पहचाने जाने वाले काला बच्चा सोनकर उर्फ मुन्ना सोनकर को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था। उस समय सपा के कद्दावर नेता शिवकुमार बेरिया मैदान में उतरे थे। बाबरी मस्जिद कांड के बाद प्रदेश में भाजपा का कमल तेजी से खिला था। दोनों के बीच कांटे की टक्कर हुई। तब सपा के शिव कुमार बेरिया ने भाजपा के काला बच्चा को मात्र 682 वोटों से हरा दिया था। अपने आपमें यह हार किसी जीत से कम नहीं थी। इस चुनाव से वह एक समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए थे। और कुछ लोगों की आंखों में खटकने लगे थे। जिससे उन्हें जल्द ही रास्ते से हटा दिया गया।
भरे बाजार बम मारकर कर दी गई थी हत्या
चुनाव का फैसला आने के बाद महज 60 दिन ही बीते थे कि काला बच्चा की कानपुर के भरे बाजार में बम मारकर हत्या कर दी गई। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो काला बच्चा की हत्या के बाद उनके परिवार वालों के साथ काफी जुर्म किया गया। रविवार 9 फेब 2025 से इस घटना को 31 साल बीत जाएंगे। लेकिन कानपुर के बाबूपुरवा और बिल्हौर विधानसभा सभा की जब भी बात होती है तो लोग आज भी काला बच्चा हत्याकांड की चर्चा जरुर करते हैं। बाबूपुरवा में ही काला बच्चा का घर था।

भाजपा ने 2022 में बेटे को दिया टिकट और पहली बार हथियाई सीट
बिल्हौर। सपा का गढ़ मानी जाने वाली बिल्हौर विधानसभा सीट पर कब्जा करने के लिए भाजपा ने वर्ष 2022 में खास रणनीति के तहत तमाम दिग्गज प्रत्याशियों को दरकिनार कर दिवंगत काला बच्चा के पुत्र राहुल बच्चा यानी मोहित सोनकर को टिकट दिया था।और भाजपा का यह प्रयोग पूरी तरह सफल भी रहा। राहुल बच्चा की जीत हुई। और उन्होंने प्रदेश की राजनीति में शानदार एंट्री की। राहुल बच्चा के रूप में जब यह कमल खिला तो उसकी खिलखिलाहट पूरे प्रदेश में फैल गई।