Wednesday, May 21, 2025
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गंगा नदी के बायोरेमीडेशन के नाम पर धूल झोंक रही एजेंसी !

कानपुर में कई जगह केमिकल युक्त पानी से भरे ड्रम तो लगे हैं जैविक उपचार के नाम पर सिर्फ हो रहा छलछंद

(कानपुर से ग्राउंड जीरो रिपोर्ट)

निर्मल तिवारी, स्वराज इंडिया
कानपुर।
मां गंगा में गिरने वाले सात नालों को जैविक उपचार विधि (बायोरेमीडेशन ) द्वारा शोधित करने का दावा किया जाता है । गंगा जी में सीधे गिर रहे सात नालों में से तीन नालों के पानी शोधन की सच्चाई जानने के लिए ‘स्वराज इंडिया’ की टीम रविवार 22 दिसंबर की सुबह ग्राउंड जीरो पर पहुंची । स्वराज इंडिया टीम ने डबकेश्वर घाट के पीछे डबका नाला , गोलाघाट व मैस्कर घाट पहुंचकर उन दावों का रियलिटी चेक किया , जिसमें कहा जाता है एनजीटी के मानक अनुसार जैविक उपचार विधि से इन नालों के पानी को शोधित किया जा रहा है लेकिन कागजी हकीकत से मौके की जो कहानी है वह धोखा देने वाली लगती है। गंगा नदी की नोडल एजेंसी नगर निगम के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर
दिवाकर भास्कर का कहना है कि बायोरेमेडीएशन की समय-समय पर जांच भी कराई जाती है अभी एक दिन पूर्व भी जांच हुई थी। यदि एजेंसी के द्वारा लापरवाही बरती जा रही है तो कार्रवाई होगी।

सीन नंबर 1 गोलाघाट

सुबह 8.02 बजे गोलाघाट स्थित नाले पर लटकी रबड़ से पानी टपक रहा या नहीं , यह स्पष्ट नहीं हो रहा है । थोड़ी दूर चेंबर पर रखे ड्रम से 1 मिनट में 10 बूंद केमिकल युक्त पानी शायद ही गिर रहा हो । जिस पॉइंट पर यह पानी शोधन के पश्चात गंगा जी में गिर रहा था , वहां पर दुर्गंध इतनी थी कि नाक पर रुमाल बंधना पड़ा । दूषित पानी का फ्लो भी ज्यादा था, उस हिसाब से उपचार कारगर नहीं दिखा।

सीन नंबर 2
(मैस्कर घाट)

सुबह 8.27 बजे मैस्कर घाट पहुंचने पर टीम स्वराज इंडिया को एक चेंबर पर रखे ड्रम का नल बंद मिला । वहीं थोड़ी दूर रखी एक अन्य टंकी से केमिकल युक्त पानी गिर रहा था । पानी शोधन के पश्चात जिस जगह पर मां गंगा में मिलता है , वहां नाक पर रुमाल रखे बगैर खड़ा हो पाना मुश्किल है।

सीन नंबर 3
(डबकेश्वर घाट)

सुबह 9.10 बजे टीम स्वराज इंडिया ने डबकेश्वर घाट पर मां गंगा में गिर रहे डबका नाले का जायजा लिया । यहां पर मंदिर के पीछे एक केमिकल युक्त पानी की टंकी रखी हुई है लेकिन सुबह 9:10 बजे यह नल पूरी तरह से बंद था । जबकि यहां पर दुर्गंध बहुत ज्यादा थी और पानी का फ्लो भी बहुत अधिक था ।दूसरी केमिकल की टंकी खोजते हुए हम कैंट द्वार के पहले स्थित पुलिया पर पहुंचे । जहां पानी मापक यंत्र तो पुलिया के नीचे दिखा , एक रबड़ भी दिखाई दी लेकिन टंकी नजर नहीं आई । एक जगह से पानी टपक तो रहा था लेकिन क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि यह वाटर लाइन लीकेज का पानी है । पुलिया के पास इस नाले से उठती दुर्गंध इतनी तीव्र है कि नाक पर रुमाल रखने के बाद भी आप कुछ मिनट भी यहां रुक नहीं पाएंगे केमिकलयुक्त पानी की टंकी की खोज में काफी दूर तक जाने के बाद भी कहीं टंकी दिखाई नहीं दी ।

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