Friday, August 22, 2025
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बिहार ने रचा इतिहास: देश में पहली बार मोबाइल से वोटिंग का सफल ट्रायल

Polling officials check the Electronic Voting machines (EVM) and voter-verified paper audit trail (VVPAT) units before they leave for their respective polling stations , on the eve of the Punjab state assembly elections, at a distribution centre in Amritsar on February 19, 2022. (Photo by NARINDER NANU / AFP) (Photo by NARINDER NANU/AFP via Getty Images)


– वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और बीमार मतदाताओं को मिला घर बैठे मतदान का अवसर

स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो | नई दिल्ली

28 जून 2025 को बिहार ने भारत के लोकतंत्र में एक क्रांतिकारी अध्याय जोड़ा। देश में पहली बार मोबाइल आधारित ई-वोटिंग प्रणाली का सफल परीक्षण बिहार में किया गया, जिससे मतदाताओं को अपने घर से ही स्मार्टफोन के ज़रिए वोट डालने की सुविधा मिली। यह प्रयोग बिहार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा विकसित ई-एसईसीबीएचआर ऐप के माध्यम से किया गया, जो खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग जनों और गंभीर रोगियों के लिए तैयार किया गया था।

इस ऐतिहासिक पहल की सबसे खास बात यह रही कि पूर्वी चंपारण की विभा कुमारी देश की पहली ई-वोटर बनीं। उन्होंने अपने मोबाइल से वोट डालकर बताया कि बीमार होने के बावजूद लोकतंत्र में भागीदारी संभव है — तकनीक के सहयोग से।

ई-वोटिंग की यह प्रणाली फेस वेरिफिकेशन और वोटर आईडी वेरिफिकेशन से लैस थी, जिससे प्रक्रिया न केवल सरल बल्कि सुरक्षित भी बनी रही। पटना, रोहतास और पूर्वी चंपारण के छह नगर निकायों में इस पायलट प्रोजेक्ट को लागू किया गया। आंकड़े भी उत्साहजनक रहे — 69.49% से 70.20% तक मतदान हुआ, जो पारंपरिक मतदान के मुकाबले लगभग 16% अधिक था।

GHAZIABAD, INDIA – FEBRUARY 09 : Polling officials are seen distributing the Electronic Voting machines (EVM) and voter-verified paper audit trail (VVPAT) ahead of the first phase of assembly elections at the election party departure ground Ghaziabad in Uttar Pradesh, India on February 09, 2022. (Photo by Imtiyaz Khan/Anadolu Agency via Getty Images)

✅ तकनीक + लोकतंत्र = नया भारत

इस ई-वोटिंग सिस्टम ने न सिर्फ स्थानीय नागरिकों को राहत दी, बल्कि प्रवासी भारतीयों और दूरदराज़ के इलाकों में रहने वाले मतदाताओं के लिए भी यह व्यवस्था भविष्य में उपयोगी साबित हो सकती है।

❓ कुछ सवाल भी उठे…

हालांकि इस तकनीक को लेकर साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी को लेकर कुछ आशंकाएं भी व्यक्त की गईं। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इस प्रयोग को “प्री-प्लांड एजेंडा” तक कह डाला। लेकिन निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐप को 5G नेटवर्क, फेस रिकग्निशन और मल्टी-लेवल वेरिफिकेशन के साथ बनाया गया है, जो किसी भी हेरफेर की संभावना को नगण्य करता है।

🗣️ “यह बस शुरुआत है…”

राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. दीपक प्रसाद ने कहा, “हमारा लक्ष्य हर मतदाता को लोकतंत्र से जोड़ना है, चाहे वह कहीं भी हो। यह शुरुआत है, और हम इसे और बेहतर बनाते रहेंगे।”

🔍 अब पूरे देश की निगाहें बिहार पर

बिहार के इस कदम ने भारत के चुनावी इतिहास में डिजिटल सशक्तिकरण की एक नई मिसाल कायम की है। आने वाले समय में, यदि यह प्रणाली और अधिक परिष्कृत और सुरक्षित साबित होती है, तो विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मोबाइल वोटिंग को लेकर एक नई दिशा खुल सकती है।

बिहार ने दिखा दिया है — तकनीक के साथ लोकतंत्र और भी सशक्त बन सकता है।

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