
स्वराज इंडिया|लखनऊ डेस्क- कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित धांधली, पेपर लीक और तकनीकी खामियों ने देशभर के लाखों युवाओं के सब्र का बांध तोड़ दिया है। 31 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अभ्यर्थियों ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया, जिसमें नीतू मैम, अभिनय शर्मा, रजत यादव जैसे चर्चित शिक्षकों के साथ हजारों छात्र शामिल हुए।शुरुआत में प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था, लेकिन दिल्ली पुलिस के लाठीचार्ज और बल प्रयोग ने माहौल को अचानक तनावपूर्ण बना दिया। सोशल मीडिया पर #JusticeForSSCAspirants, #SSCScam और #CBInquirySSe जैसे हैशटैग लाखों बार इस्तेमाल हो चुके हैं, जो आंदोलन की व्यापकता और गुस्से की गहराई को दर्शाते हैं।
परीक्षा प्रणाली पर भरोसा क्यों टूटा?
अभ्यर्थियों का आरोप है कि SSC की परीक्षा प्रक्रिया अब पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं रह गई है। बीते कुछ वर्षों में बार-बार पेपर लीक की घटनाएं सामने आईं—कई बार परीक्षा रद्द करनी पड़ी, तो कई बार विवादों के बावजूद परिणाम जारी कर दिए गए।कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं में तकनीकी खामियां और लापरवाही ने अभ्यर्थियों की मुश्किलें और बढ़ा दीं। छात्रों का कहना है कि परीक्षा के दौरान अचानक स्क्रीन बंद हो जाना, सिस्टम हैंग हो जाना या पेपर का अपने आप ऑटो-समिट होना आम बात हो गई है। इन खामियों से उनका कीमती समय बर्बाद हुआ और मानसिक दबाव कई गुना बढ़ गया।

ब्लैकलिस्टेड वेंडर पर गंभीर सवाल
सबसे बड़ा विवाद ऐजुक्विटी नामक निजी कंपनी को लेकर है, जिसे SSC ने परीक्षा संचालन के लिए वेंडर नियुक्त किया। छात्रों का आरोप है कि यही कंपनी व्यापम घोटाले के दौरान अनियमितताओं के चलते ब्लैकलिस्ट की गई थी। फिर भी उसे लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य से जुड़े महत्वपूर्ण काम की जिम्मेदारी दे दी गई।परीक्षा केंद्रों पर बिजली कटौती, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था का अभाव और अव्यवस्थित बैठने की स्थिति ने इन आरोपों को और पुख्ता कर दिया है।
भविष्य अधर में, सालों से भटक रहे अभ्यर्थी
SSC की भर्तियों में देरी एक पुरानी समस्या है। कई परीक्षाओं का रिजल्ट महीनों या वर्षों तक नहीं आता, जिससे उम्मीदवार उम्र सीमा पार कर जाते हैं या मानसिक रूप से टूट जाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में वर्षों लगाने के बाद भी जब नौकरी का रास्ता नहीं खुलता, तो युवाओं में हताशा और गुस्सा दोनों बढ़ता है।अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा और रिजल्ट के बीच लंबा अंतराल भ्रष्टाचार और मनमानी के लिए जगह छोड़ देता है।
स्पष्ट और ठोस मांगें
प्रदर्शनकारियों ने सरकार और आयोग के सामने अपनी मांगें साफ़ रखी हैं—
- ऐजुक्विटी वेंडर की निष्पक्ष और उच्च-स्तरीय जांच कर तुरंत हटाया जाए।
- सभी भर्तियों के लिए पारदर्शी और समयबद्ध टाइमलाइन बनाई जाए।
- परीक्षा केंद्रों का आवंटन अभ्यर्थियों के गृह नगर या नजदीकी शहर में हो।
- तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए ठोस और स्थायी समाधान अपनाया जाए।
सरकार की चुप्पी और आंदोलन का अगला कदम

अब तक सरकार या SSC की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन और बड़े पैमाने पर किया जाएगा और पूरे देश में सड़क से संसद तक संघर्ष होगा।
