Wednesday, April 2, 2025
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भारतीय समाज में दोधारी तलवार बन गया सोशल मीडिया

एक दूसरे के विचारों में मतभेद से हो रहे हैं आपसी संबंध खराब

स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
कानपुर। ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के किशोर-किशोरियों के लिए सोशल मीडिया को प्रतिबंधित करने पर विचार क्या किया कि दुनियाभर में इस पर प्रतिक्रिया हो रही है। वास्तव में देखा जाए तो सोशल मीडिया का दुरुपयोग अधिक हो रहा है। विचारों में भिन्नता के कारण लोगो के आपसी संबंध भी खराब हो रहे हैं। सोशल मीडिया विचारों की छूआछूत का अड्डा बनता जा रहा है। यह एक सामाजिक बुराई है जो व्यक्ति के जन्म, जाति, धर्म, लिंग या अन्य किसी भी आधार पर भेदभाव करती है। यह समस्या सदियों से हमारे समाज में व्याप्त है और इसके दूरगामी परिणामों से कई लोग पीड़ित हैं। विचारधारा की छूआछूत का अर्थ ऐसे लोगों के साथ भेदभाव करना है जो आपकी विचारधारा से अलग हैं। यह भेदभाव कई रूपों में हो सकता है। उदाहरण के लिए आप ऐसे लोगों के साथ बातचीत करने से बच सकते हैं जो आपकी विचारधारा से अलग हैं। आप उनका विरोध कर सकते हैं या उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। आज के आधुनिक समय में भी छूआछूत की समस्या कम नहीं हुई है बल्कि यह एक नए रूप में सामने आ रही है। आज लोग विचारों के आधार पर भी एक-दूसरे से भेदभाव करते हैं इस प्रकार के भेदभाव की विचारधारा छूआछूत कहलाती है।आज के सोशल मीडिया के समाज में यह विभेद स्पष्ट दिखलाई पड़ता है। अपने जैसे विचार के साथ जुड़ना, अपने जैसे विचार के समर्थन करने वालों के साथ जुड़ना, अपने जैसे विचारों के समर्थकों और सुपारीबाजों के साथ जुड़ने को आप आजकल आसानी से देख सकते हैं। विचारधारा की छूआछूत के कई कारण हो सकते हैं। एक कारण यह है कि हम अक्सर अपने विचारों को सही मानते हैं और दूसरों के विचारों को गलत। हम यह सोचते हैं कि केवल हमारे विचार ही सही हैं और दूसरों के विचार गलत हैं। इस कारण से हम उन लोगों के साथ भेदभाव करते हैं जो हमारी विचारधारा से अलग हैं। दूसरा कारण यह है कि हम अक्सर अपने विचारों को अपने व्यक्तित्व का हिस्सा मान लेते हैं। हम यह सोचते हैं कि हमारे विचार ही हम हैं इस कारण से हम उन लोगों के साथ भेदभाव करते हैं जो हमारी विचारधारा से अलग हैं क्योंकि हम यह मानते हैं कि वे हमारे व्यक्तित्व को चुनौती दे रहे हैं।विचारधारा की छूआछूत एक गंभीर समस्या है। यह समस्या हमारे समाज में तनाव और विभाजन को बढ़ाती है। यह हमारे लोकतंत्र और सामाजिक समरसता के लिए भी खतरा है। विचारधारा की छूआछूत को दूर करने के लिए हमें अपने विचारों के बारे में जागरूक होना होगा। हमें यह समझना होगा कि हमारे विचार हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं हैं। हमें यह भी समझना होगा कि दूसरों के विचारों को भी समान सम्मान दिया जाना चाहिए। इसके अलावा हमें एक-दूसरे के साथ संवाद करने की कोशिश करनी चाहिए। हम अपने विचारों को दूसरे लोगों के सामने रखने से नहीं डरने चाहिए। हम दूसरे लोगों के विचारों को भी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए।

सोशल मीडिया में निजी फोटो डालनी चाहिए या नहीं?

एक अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया पर झूठी खबरें सच्ची खबरों की तुलना में ज्यादा तेजी से फैलती हैं। इसका मतलब है कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को भ्रामक शीर्षक, गलत सूचना और फर्जी खबरें देखने की अधिक संभावना है। गलत जानकारी के नकारात्मक और खतरनाक परिणाम भी हो सकते हैं। यह लोगों के स्वास्थ्य, वित्त, उत्पाद खरीद और अन्य चीजों के बारे में लिए जाने वाले निर्णयों को प्रभावित करता है। अत: सोशल मीडिया का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।

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