
स्वराज इंडिया, वाराणसी। करोडो की प्रॉपर्टी के मालिक व 400 से ज्यादा किताबें लिखने वाले श्रीनाथ खंडेलवाल की वृद्ध आश्रम में साँसे टूट गई। अंतिम समय में कोई अपना शव यात्रा में नहीं आया। 80 करोड़ की सम्पत्ति के मालिक श्रीनाथ खंडेलवाल को उनके अपने बेटे व बेटी ने घर से निकाल दिया था। अंतिम समय में समाजसेवी अमन कबीर ने उनका दाह संस्कार किया।
अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की फिल्म आई थी बागबान। पिता पुत्र के रिश्तों पर आधारित ये फिल्म समाज के लिए एक संदेश बनी। इसमें प्रॉपर्टी के लिए बेटों ने पिता को घर से निकाल दिया। ‘बागबान’ जैसी ही रियल कहानी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी यानी कि वाराणसी में देखने को मिली है। यहां संपत्ति की लालच में बेटे और बेटी ने पिता को मरणासन्न अवस्था में छोड़ दिया। बीते शनिवार को 80 साल की उम्र में उनकी मौत भी हो गई।
वाराणसी के रहने वाले प्रसिद्ध लेखक एस एन खंडेलवाल (श्रीनाथ खंडेलवाल) एक अनाथालय में जीवन बिताने के लिए मजबूर थे। श्रीनाथ खंडेलवाल मार्च 2024 से काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में रह रहे थे। उनका परिवार उनसे अलग हो गया था, और वो अपनी 80 करोड़ की संपत्ति से बेदखल कर दिए गए थे। खंडेलवाल 400 से अधिक किताबें लिख चुके हैं। उनकी किताबें फिल्पकार्ट और अमेजन पर भी उपलब्ध हैं।
अपनों के होते भी लावारिस की तरह गैरों ने किया अंतिम संस्कार…
अस्पताल से खंडेलवाल के निधन की सूचना मिलने के बाद अमन कबीर और उनके दोस्तों ने उनका अंतिम संस्कार किया। उनके बेटे, जो बड़े बिजनेसमैन हैं, ने आने से मना कर दिया, और बेटी ने फोन तक नहीं उठाया। बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। दामाद भी सुप्रीम कोर्ट में ही प्रैक्टिस करते हैं।
बेटे ने कहा था: लाश को बाहर फेंक देना…
कुछ समय पहले मीडिया से बात करते हुए भारी मन से खंडेलवाल ने कहा था कि जब हम बीमार पड़े तो हमारे बच्चों ने कहा कि इसकी लाश को बाहर फेंक देना। यह सब सुनकर दुख हुआ। सबसे दुखी हैं। इस कारण वृद्धाश्रम में आ गए। बच्चों की बेरुखी ने उन्हें बेघर कर दिया