
–अपने चहेते खास ठेकेदारों को यूपीपीसीएल के नियम-कायदों को ताकपर रखकर दे दिए लाखों के टेंडर
–मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई शिकायत के बाद जांच कमेटी बैठी
-विद्युत विभाग में धांधली रूकने का नाम नहीं ले रही हैं
मुख्य संवाददाता, स्वराज इंडिया
लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में जीरो टालरेंस नीति के तहत ताबडतोड कार्रवाई हो रही है। वहीं, कई अफसर अपनी तिजोरी भरने के चक्कर में योगी सरकार की छवि ख़राब करने में जुटे हुए हैं। ताजा प्रकरण कानपुर देहात जिले में तैनात अधीक्षण अभियंता विद्युत सतेंद्र पाल का आया है। उनपर चहेते ठेकेदारों को मनमाने ढंग से टेंडर बांटने और अनिमियमित ढंग कार्य करने के आरोप लग रहे हैं। शासन ने शिकायतों के क्रम में जांच कमेटी गठित की थी जिनमें आरोप सही पाए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में एसई सतेंद्र पाल सिंह की मुसीबतें बढ सकती हैं।
शिकायतकर्ता अमित भदौरिया निवासी सरायमसवानपुर कानपुर ने मुख्यमंत्री के नाम उप्र पावरकारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल और एमडी पंकज सिंह यादव को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया था कि कानपुुर देहात जिले में तैनात एसई सतेंद्र पाल प्रकाशित ई निविदा में उप्र पावर कारपोरेशन के आदेशों एवं निर्देशों को दरकिनार कर अपने चहेते ठेकेदारों को निविदाएं आवंटित कर लाखों रूपयों का गोलमाल किया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार यूपीपीसीएल के 2019 के एक शासनादेश के मुताबिक क्रम संख्या 2 पर निविदा की 80 प्रतिशत का एक अनुबंध माना जाना चाहिए था लेकिन एसई सतेंद्र पाल द्वारा प्रकाशित निविदा संख्या 11-ईडीसीकेडी-24-25, 12-ईडीसीकेडी-24-25, 13-ईडीसीकेडी-24-25 और 17-ईडीसीकेडी-24-25 में मनमाने ढंग से दो-दो लाख के कार्यों के अनुभव को टुकडों में करके ठेकेदारों को फायदा पहंुचाया गया। बकौल शिकायतकर्ता, जिस माह में निविदा स्वीकृति दिखाई गई उसी माह के अनुभव प्रमाण पत्र अधिशाषी अभियंता विद्युत पुखरायां द्वारा बिना जांच के ही जारी किए गए हैं। इसमें बताया जा रहा है कि कई वर्ष पूर्व कार्यो के अनुभव प्रमाणपत्र वर्तमान में जारी कर दिए गए लेकिन उनमे संबंधित कार्यालय का पत्रांक संख्या तक नहीं है, इससे कूटरचित होने की पूरी संभावनाएं हैं।

एसई पर आरोप हैं कि अपने चहेते ठेकेदारों के प्रपत्र बिना जांचे ही अधिकतर कार्य आवंटन पत्र जारी कर दिए गए। निविदा संख्या 17-ईडीसीकेडी-24-25 में कार्यदायी संस्था द्वारा जो अनुबंध लगाया गया है वह पूरी तरह से फर्जी है लेकिन एसई द्वारा कोई जांच पडताल कराए ही ओके करके ठेकेदार को फायदा दे दिया गया। एसई ने प्रकाशित निविदा फर्म में टेक्निकल एक्सपीरिंयस में क्रमसंख्या 04 पर 2-2 लाख के अनुबंध की मांग की गई जब कि ऐसा यूपीपीसीएल गाइडलाइन में नहीं है। शिकायतकर्ता ने कहा कि एसई द्वारा जो 15 प्रतिशत सुपरविजन के कार्य का अनुमोदन दिया गया है उनमे बडा घालमेल है, इसकी जांच कराया जाना जरूरी है।

सीएम संदर्भित आईजीआरएस में किया जाता रहा गुमराह
आईजीआरएस पोर्टल को किस तरह से मजाक बनाकर रखा गया है। इसकी बानगी इस मामले से भी होती है। शिकायतकर्ता ने 23-11-2024 को मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत की तो शिकायत को आईजीआरएस संदर्भ 15164240202480 बना दिया गया। संयुक्त सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय अजय कुमार ओझा ने अध्यक्ष एवं एमडी को त्वरित जांच कराकर कार्यवाई के लिए निर्देशित किया लेकिन अफसरों ने मामले में ध्यान नहीं दिया। संदर्भ निदेशक कार्यालय से फारवर्ड होकर एमडी कार्यालय पहुंचा। इसके बाद यहां से मुख्य अभियंता मंडल कानपुर देहात को ही आख्या के लिए भेज दिया गया। अब जहां भ्रष्टाचार हुआ है वही के लोग जांच क्या करेंगे। इसपर शिकायतकर्ता ने उच्चस्तर पर संपर्क साधकर आपत्ति जताई तो जांच कमेटी गठित की गई।
–मामले में शिकायत की गई थी, प्रकरण विचाराधीन है। भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई होगी।
पंकज कुमार यादव, प्रबंध निदेशक यूपीपीसीएल उप्र.