Wednesday, April 2, 2025
Homeराज्यउत्तर प्रदेशसंत प्रेमानंद ने लौटाया यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव!

संत प्रेमानंद ने लौटाया यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव!

संत ने कहा कि‘आपकी लौकिक उपाधि, हमारी, अलौकिक उपाधि में बाधा है’

वृंदावन के मशहूर संत प्रेमानंद ने कानपुर की सीएसजेएम यूनिवर्सिटी का मानद उपाधि प्रस्ताव वापस किया

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल कुमार यादव प्रस्ताव लेकर गए थे वृंदावन केलीकुंज

स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
वृंदावन/कानपुर।

कानपुर के एक गांव में जन्मे भगवान बांके बिहारी की परम प्रिया राधारानी के भक्त संत प्रेमानंद बाबा ने कानपुर की सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के मानद उपाधि के प्रस्ताव को शुभकामनाएं देते हुए लौटा दिया है। बताया जा रहा है कि विवि के 39वें दीक्षांत समारोह से पहले मानद डॉक्टरेट का यह प्रस्ताव लेकर रजिस्ट्रार डॉ. अनिल कुमार यादव शनिवार को वृंदावन स्थित श्री हित राधा केली कुंज आश्रम पहुंचे थे। संत ने इस प्रस्ताव को विनम्रता से अस्वीकार कर कहा, हम उपाधि मिटाने को साधू बने हैं। भक्त की उपाधि के आगे सारी उपाधिर्या छोटी हैं।
आपको बता दूं कि सीएसजेएमयू का दीक्षांत समारोह, 28 सितंबर को है। इसकी अध्यक्षता राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल करेंगी। कार्यक्रम में मेधावियों को पदक, छात्रों को उपाधि के साथ एक विभूति को मानद उपाधि से सम्मानित किया जाना है। इसके लिए विवि परिवार ने संत प्रेमानंद का नाम प्रस्तावित किया था। प्रेमानंद बाबा के भजन मार्ग की ओर से एक वीडियो वायरल है। इसमें दिख रहा है कि रजिस्ट्रार ने आश्रम में संत के सामने यह प्रस्ताव रखा। यह सुनते ही उन्होंने कहा, ‘हम भगवान के दासत्व में हैं। बड़ी उपाधि के लिए छोटी उपाधियों का त्याग किया जाता है। सबसे बड़ी उपाधि है सेवक, जो संसार में भगवान के दास के रूप में है। बाहरी उपाधि से हमारा उपहास होगा न कि सम्मान। यह लौकिकः उपाधि, हमारी, अलौकिक उपाधि में बाधा है। आपका भाव उच्च कोटि का है पर उसमें आधुनिकता छिपी है। हमारी भक्ति सबसे बड़ी उपाधि है।

सरसौल के अखरी गांव में जन्मे थे प्रेमानंद

संत प्रेमानंद का जन्म 54 साल पहले कानपुर के अखरी गांव में हुआ था। यहीं बचपन बीता और पढ़े। नौवीं की पढ़ाई के लिए भास्कर नंद इंटर कॉलेज में प्रवेश लिया, लेकिन मन नहीं लगा। चार- पांच महीने बाद ही मोहमाया छोड़ घर त्याग दिया। पहली रात हाथी गांव स्थित नंदेश्वर मंदिर में गुजारी। उम्र साढ़े तेरह वर्ष थी। घर वाले खोजते हुए पहुंचते उसके पहले ही वे सैमसी के सफीपुर झाट पहुंच गए। कुछ दिन ड्योढ़ी घाट, नजफगढ़ घाट और बिटूर में भी रहे।

संत प्रेमानंद का बचपन का नाम अनिरुद्ध पांडे है

प्रेमानंद महाराज का बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय है। बड़े भाई गणेश शंकर पांडेय ज्योतिषाचार्य और पुरोहित हैं। छोटे भाई घनश्याम खेती के साथ प्राइवेट काम करते हैं। बहनें सुशीला देवी, पुष्पा तिवारी, शशि तिवारी, रानी मिश्रा हैं। उनके भाई गणेश पांडेय बताते हैं कि पिता शंभू नाथ पांडेय ने भी संन्यास लिया था। वे वाराणसी स्थित समाधी मठ के, दंडी स्वामी थे। प्रेमानंद महाराज सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध हो गए हैं तो लोग गांव आने लगे हैं। प्रधान रमेश यादव कहते हैं- गांव को देश में पहचान मिल रही है। लोग यहां की मिट्टी ले जाते हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!