Wednesday, April 2, 2025
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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी पीएम आवास योजना

कई अपात्र को पीएम आवास योजना किया गया लाभांवित

स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो

देहरादून। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को सस्ती और सुलभ आवास सुविधा प्रदान करना है। हालांकि, इस योजना को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ और समस्याएं सामने आई हैं, जिनमें भ्रष्टाचार भी शामिल है। पीएम आवास योजना के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं। कुछ मामलों में यह पाया गया है कि आवासों का आवंटन नियमों के विरुद्ध किया गया है। इसमें योग्य लोगों को आवास नहीं मिला और अन्य अपात्र लोगों को आवास दे दिया गया है।
उत्तराखंड में भी प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं। पीएम आवास आवंटन मामले में अफसरों की मिलीभगत से बड़ी संख्या में अपात्रों को ‘पात्र’ बनाकर आवास मुहैया कराने का मामला भी सामने आया है। ऐसे ही एक मामले में नोएडा के एक बिल्डर ने अलग-अलग नाम से कंपनी बनाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत फ्लैट निर्माण का टेंडर हथिया लिया और दिल्ली/एनसीआर एवं उत्तर प्रदेश सहित अन्य दूसरे राज्यों के अपात्र लोगों को उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत फ्लैट आवंटित करवा दिए गए। दरअसल, सरकारी अफसरों ने लाभार्थियों के सत्यापन में सारा खेल कर दिया। पक्के मकान वाले अमीर लोगों को भी आवास दे दिया गया, जबकि जो वास्तव में इसके हकदार थे, उन्हें निराशा मिली। इस योजना के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी के फ्लैट की कीमत 3,50,000 रुपए प्रति फ्लैट रखी गई है, लेकिन बिल्डर द्वारा जिन दूसरे राज्य के व्यक्तियों को फ्लैट आवंटित करवाए गए हैं, उनसे 6 से 7 लाख रुपए प्रति फ्लैट की वसूली की गई है। इस भ्रष्टाचार में दलाल, बिल्डर, और कई बड़े अधिकारियों का हाथ होने का आरोप है।
बिल्डर ने ओजस स्मार्ट होम्स प्राइवेट लिमिटेड, अनेखी हेतमपुर जिला हरिद्वार, ओजस इंटरिओ प्राइवेट लिमिटेड, बेलड़ी, रुड़की, जिला हरिद्वार सहित कई अन्य नाम से कंपनी बनाकर रुद्रपुर, काशीपुर आदि जिलों में भी पीएम आवास योजना के तहत फ्लैट निर्माण का टेंडर लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस भ्रष्टाचार के मामले में गाजियाबाद के संदीप चौधरी नाम के दलाल की अहम भूमिका बताई जा रही है। संदीप चौधरी दूसरे राज्य के लोगों के दस्तावेजों में पता बदलवाता है एवं अपने व्यक्तिगत अकाउंट में रुपए भी ट्रांसफर करवाता है। राजधानी दिल्ली के कुछ अपात्र लोगों को भी संदीप चौधरी ने सात लाख रुपए लेकर पीएम आवास योजना में फ्लैट आवंटित करवा दिया। इस तरह दलाल संदीप चौधरी, बिल्डर एवं अधिकारियों के द्वारा मिली भगत कर खुलेआम गरीब वर्ग के लोगों के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है। उत्तराखंड सरकार एवं केंद्र सरकार को तत्काल ही इस मामले की गंभीरता से जांच करवानी चाहिए और दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

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