एक्सक्लूसिव खबर

डीएम के आदेश आरटीओ अफसरों के ठेंगे पर
शहर और जिले के आसपास में बिना नंबर प्लेट वाहनों की भरमार
हमीरपुर रोड में गुजर रहे औसतन हर तीसरे ट्रक, डंपर की नंबर प्लेट गायब
जिलों में एआरटीओ की कार्यवाही ऊंट के मुंह में जीरा की तरह
निर्मल तिवारी/स्वराज इंडिया
कानपुर।
एक तरफ ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत शासन प्रशासन ने शहर के हर चौराहे, हर गली पर कैमरे लगाए, जिनका उद्देश्य हर तरह के अपराध, गैर कानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है। समाज में एक मैसेज गया सरकार, शासन और प्रशासन की इन कैमरों के माध्यम से शहर के चप्पे चप्पे पर निगाह है। कोई भी, कितना भी शातिर क्यों ना हो वह इस आसमानी दृष्टि से बच नहीं सकता। कुल मिलाकर शहर भर में दौड़ रहा ट्रैफिक और प्रत्येक वाहन पर नजर रखने की पुख्ता व्यवस्था इन कैमरों के माध्यम से की गई। कोरोना काल के समय शासन के आदेश से ऑफलाइन चालान की व्यवस्था खत्म कर दी गई मैन्युअल चालान बंद हो गए। ऑनलाइन चालान होने लगे। तकनीक के इस्तेमाल से ट्रैफिक पुलिस को किसी से भी कागज मांगने की आवश्यकता ही खत्म हो गई। गाड़ी का नंबर डालते ही गाड़ी से संबंधित समस्त जानकारी एक क्लिक पर सामने उपलब्ध होने लगी। लेकिन बेतरतीब ढंग से चलने वाले, नियमों की अनदेखी करने वाले और ओवरलोडिंग वाहन चलाने वालों के लिए स्थितियां दुरूह हो गईं। मैन्युअल चालान के समय कुछ ले देकर बच निकलने वाली जुगत खत्म हुई तो वाहन मालिकों ने बच निकलने का दूसरा नायाब तरीका तलाश लिया। शहर के अंदर दौड़ रहे ऑटो, विक्रम ई रिक्शा हों या हाईवे पर दौड़ रहे ट्रक, डंपर हों यकायक सभी से नंबर प्लेट या तो गायब होने लगी या फिर एन केन प्रकारैण नंबर को छुपाने की जगत शुरू हो गई। ट्रैक्टर और ट्राली, टैंकर वाले तो पहले से ही नियमों को अनदेखा करते आ रहे थे।
कानपुर नगर से होकर गुजरने वाले हमीरपुर रोड पर ही यदि आप निगाह डालें तो किसी भी समय औसतन तीन में से दो ट्रक और डंपर में नंबर प्लेट या तो नदारत मिलेगी या उसे पर पेंट , कालिख वगैरह लगाकर उसे अपठनीय बना दिया गया होगा। हद तो यह है की बड़ी संख्या में डंपर और ट्रक आपको ऐसे भी मिलेंगे जिनमे आगे पीछे दोनों तरफ नंबर प्लेट नहीं नजर आएगी। हमीरपुर रोड भारी वाहनों के यातायात की दृष्टि से अति व्यस्त हाईवे है। हमीरपुर, सागर, कर्वी, बांदा से मौरंग और गिट्टी ढुलाई सबसे अधिक इसी मार्ग से होती है और इसी मार्ग पर सबसे अधिक दुर्घटनाओं का जोखिम भी रहता है। ट्रक और डंपर ड्राइवर द्वारा सबसे पहले पहुंचने की जद्दोजहद और सबसे आगे रहने की सनक के चलते भारी भार वाहनों की अनियंत्रित गति इस मार्ग को दुर्घटना बाहुल्य बना देती है।
प्रश्न यह उठता है कि आरटीओ प्रशासन हो या ट्रैफिक पुलिस क्या इन विभागों को वाहन चालकों द्वारा कैमरे से बचने के इस खेल की जानकारी नहीं है। यदि इन विभागों को वाहन मालिकों द्वारा नंबर प्लेट गायब करने यहां टेंपर्ड करने के इस खेल की जानकारी है तो उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? या फिर सरकार और शासन की मंशा के विपरीत कोई खेल चल रहा है! पिछले दिनों जिलाधिकारी कानपुर नगर जितेंद्र प्रताप सिंह ने आरटीओ व ट्रैफिक पुलिस के साथ बैठक में निर्देश दिए थे कि बिना नंबर प्लेट वाले वाहनों और ओवरलोड वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई की जाए। लेकिन यदि आप शहर के हाईवे पर नजर दौड़ाएं तो आपको आभास होगा जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी बिना नंबर प्लेट वाले वाहनों पर इसका कोई असर नहीं हुआ है।
खबर छपने पर एक-दो दिन कार्रवाई का दिखावा…
आरटीओ हो या ट्रैफिक पुलिस बिना नंबर प्लेट वाहनों के सामने बेबस ही नजर आ रहे हैं। पता नहीं क्या कारण है कानपुर नगर में बिना नंबर प्लेट चलते यह वाहन आम लोगों, पत्रकारों को तो दिख जाते हैं परंतु इन दोनों जिम्मेदार विभागों को नहीं दिखते हैं। जिलाधिकारी कानपुर नगर द्वारा बुलाई गई बैठक में आरटीओ प्रशासन द्वारा जानकारी दी गई कि अप्रैल माह में 315 ओवरलोड वाहनों के चालान किए गए। चालान की यह संख्या ही बताती है कि आरटीओ प्रशासन कितनी गंभीरता से ओवरलोड व बिना नंबर प्लेट वाहनों पर कितनी शिद्दत से कार्रवाई कर रहा है!हालात ये हैं अखबारों में खबर छपने के बाद आरटीओ विभाग अगले एक-दो दिन तो चुस्त- दुरुस्त, मुस्तैद नजर आता है लेकिन उसके बाद फिर वही पुराना ढर्रा चालू हो जाता है।

कोड वर्ड या कहीं कोई खेल तो नहीं….
दरअसल शहर की सड़कों पर दौड़ रहे बिना नंबर प्लेट के डंपर और ट्रकों पर मोटे-मोटे बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे शब्द यह आशंका उत्पन्न कर रहे हैं कि कहीं आरटीओ विभाग में बिना नंबर प्लेट वाहनों को चलाने का कोई खेल तो नहीं चल रहा है? अधिकांश बिना नंबर प्लेट वाहनों में ठाकुर साहब, भदौरिया, कोर बी जैसे शब्द बहुत बोल्ड करके लिखे दिखते हैं।
