
यूं तो देश के अंदर तमाम विशेषज्ञों ने अपने-अपने मापदंडों के आधार पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की मौजूदा स्थिति अपने-अपने लेखों में प्रकाशित की है। मैं भी कई वर्षों की क्राइम जर्नलिज़्म में की गई अपनी तपस्या के आधार पर पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालातों पर एक क्रिमिनोलॉजी से जुड़ा आर्टिकल लिख रहा हूं। 18 वीं शताब्दी में बंगाल की राजधानी रहा मुर्शिदाबाद जो भारत के अंदर अपनी उच्च गुणवत्ता वाली रेशम के लिए जाना जाता है वह एकाएक कैसे हिंदू आबादी के पलायन का केंद्र बिंदु बन चुका है। मौजूदा केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ अमेंनमेंट बिल पास करा लिया तो जिन लोगों की नज़र में यह बिल अनैतिक है उनके द्वारा बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तमाम यचिकाएं भी दायर कर दी गईं और उनका संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा उक्त सरकार से सवाल भी कर लिया गया है।उसके बाद भी जहां भारत के अन्य राज्यों में शांति का माहौल स्थापित है तो वहीं पश्चिम बंगाल में इतनी हिंसा क्यों आईए उस पर दृष्टि डालते हैं। पश्चिम बंगाल में हिंदू पलायन मुख्यतः सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य के कारण हो रहा है। इसके प्रमुख कारण धार्मिक तनाव, जनसांख्यिकीय परिवर्तन और राजनीतिक अस्थिरता हैं। यदि धार्मिक तनाव और हिंसा पर दृष्टि डाली जाए तो राज्य में हिंदू आबादी पर हमले की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं। 2016 में धुलागढ़ में हुई सांप्रदायिक हिंसा में भी हिंदू घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया था जिससे हिंदू समुदाय में भय का माहौल बना और कई लोगों ने पलायन भी किया इसके अलावा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में पश्चिम बंगाल के अंदर तमाम प्रदर्शन हुए उसके बाद जब वहां की सरकार के द्वारा उन प्रदर्शनों केखिलाफ पक्षपात रूपी कार्यवाही की गई तो उससे भी स्थानीय हिंदू आबादी स्वयं को असुरक्षित महसूस करने लगी। मुर्शिदाबाद की ऐसी स्थिति का कारण कुछ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी हैं उदाहरण के तौर पर आरएसएस ने पश्चिम बंगाल में हिंदू आबादी में गिरावट पर चिंता जताई है और इस विषय को देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा बताया है। आरएसएस के द्वारा राज्य सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अपनाने का आरोप लगाया गया है वहीं भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है जिससे हिंदू समुदाय को इन हमलों और धमकियों से सुरक्षित किया जा सके। इस तरह की प्रतिक्रियाएं और गतिविधियां भी उक्त स्थान पर तनाव का माहौल पैदा कर रहीं हैं।
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्रीय अभिजीत बनर्जी का मानना है कि पलायन मुख्य रूप से सामाजिक नेटवर्क और आर्थिक अवसरों के कारण होता है ना कि केवल उत्पीड़न के चलते पर जब मंशा धर्म के आधार पर अपराधिक बन जाए और एक समुदाय को दूसरे समुदाय पर हावी होने के लिए छोड़ दिया जाए तो वहां पर भी पलायन की स्थिति बन जाती है। जहां तक सवाल जनसांख्यिकीय परिवर्तन का है तो बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण सीमावर्ती जिलों और कोलकाता जैसे शहरों में मुस्लिम आबादी में वृद्धि हुई है जबकि हिंदू आबादी में कमी आई है। कोलकाता के राजा बाजार, भवानीपुर और बालीगंज जैसे इलाकों में बंगाली हिंदुओं का पलायन हुआ है। अब यदि निष्कर्ष पर प्रकाश डाला जाए तो पश्चिम बंगाल में हिंदू पलायन का मुद्दा बहुआयामी है जिसमें धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारक शामिल हैं। जिसको लेकर इन विषम परिस्थितियों में एक संतुलित और संवेदनशील दृष्टिकोण से विचार करने की आवश्यकता है ताकि सभी समुदायों के बीच विश्वास और सुरक्षा की भावना बनी रहे। यह मेरी ओर से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की स्थिति को देखते हुए व्यक्तिगत लेख लिखा गया है। यदि इसमें कुछ त्रुटियां मौजूद हैं तो उनका जिम्मेदार भी मैं स्वयं हूं। इसके साथ ही मैं सभी बुद्धिजीवियों से यह निवेदन भी करना चाहता हूं कि इसे पढ़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।