Wednesday, April 2, 2025
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कानपुर में कदम कदम पर ‘छली’ जा रही मां गंगा

केंद्र एवं यूपी सरकार भले ही मां गंगा की निर्मलता को लेकर तमाम दावे करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत बदहाल है

कानपुर में कई नाले ओवरफलो के नाम पर सीधे गंगा में गिराए जा रहे
-अफसर जानकर कर रहे अनदेखी, कौन करेगा चिंतन

निर्मल तिवारी, स्वराज इंडिया
कानपुर।

पतित पावनी मां गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर हजारों करोड रूपए अबतक खर्च किए जा चुके हैं लेकिन जो दावे किए गए थे वो हकीकत में नहीं बदल सके। मां गंगा की गोद में बसे कानपुर के कई जहरीले नाले आज भी सीधे समा रहे हैं। नालों की टेपिंग और शोधन के नाम पर सरकारी और गैर सरकारी एंजेसियां और अधिकारी अपना खजाना भरकर मौज कर रहे हैं। सरकार का निगरानी तंत्र कमजोर हैं, जिसकी वजह से गंगा को बचाने के लिए प्रयास धूमिल नजर आते हैं। करीब डेढ माह बाद उप्र के प्रयागराज में महाकुंभ की शुरूआत होने जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ दिल खोलकर तैयारियों पर सरकारी खजाना खर्च कर रहे हैं लेकिन आचमन और स्नान के लिए मां गंगा की निर्मलता पर किसी का ध्यान नहीं है। बस सरकारी कागज दौड रहे हैं और खानपूर्ति भर हो रही है। ’स्वराज इंडिया’ की टीम गंगा की सफाई और नालों को लेकर लगातार पडताल कर रही है जिसमें चौंकाने वाली सच्चाई सामने आ रही है लेकिन कानपुर तैनात जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि शायद देखना और समझाना नहीं चाहते हैं।
लाखों लाख सनातनी बारह वर्ष में एक बार प्रयागराज में होने वाले इस महाकुंभ की प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रयागराज तक स्वच्छ निर्मल गंगाजल तभी पहुंचेगा जब कानपुर में गंगा जी का जल स्वच्छ निर्मल होगा । कानपुर के उत्तर प्रदेश का अग्रणी औद्योगिक शहर होना एक सुनहरी तस्वीर पेश करता है लेकिन प्रदूषण के रूप में स्याह पक्ष भी लेकर आता है। इसका एक स्याह पक्ष जल प्रदूषण भी है। गंगा जी भी इससे अछूती नहीं रही है बल्कि दशकों दशक तक इस प्रदूषण को साथ लेकर चलने के लिए अभिशप्त रही हैं। वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद नमामि गंगे प्रोजेक्ट प्रारंभ हुआ और गंगा जी की बदहाल तस्वीर बदलने की उम्मीद जगी। कई स्तर पर गंगाजल को प्रदूषण मुक्त करने की कई योजनाओं पर काम शुरू हुआ । योजना बनी कानपुर में गंगा को प्रदूषित कर रहे डेढ़ दर्जन नालों के प्रदूषित पानी को दिशा मोड़कर शोधित किया जाएगा। लेकिन कानपुर में गंगा जी की वर्तमान स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि यह पूरी योजना ही दोषपूर्ण है । इसमें खामियां हैं और साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही इस योजना को पूरी तरह असफल बना रही है । प्रस्तुत है पिछले कई वर्षों में खींची गई इस सुनहरी तस्वीर की पड़ताल करती स्वराज इंडिया की विशेष रिपोर्ट का दूसरा भाग है।

अटल घाट का परमिया नाला गंगा के दमन में लगा रहा दाग

बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है महाकुंभ से 40 दिन पहले कानपुर में गंगा सफाई के जिम्मेदार कुंभकरणी नींद में हैं । उन्हें पीएम मोदी सीएम योगी के स्वच्छ गंगा निर्मल गंगा संकल्प से कुछ भी लेना देना नहीं है । अपनी स्पेशल कवरेज में कल टीम स्वराज इंडिया पहुंची थी अटल घाट । वही अटल घाट जिसका लोकार्पण स्वयं पीएम मोदी ने किया था ।इसी अटल घाट से 100 मीटर दूरी पर वो स्थान है जहां परमिया नाला गंगाजी में गिरता था । कल हमने परमट नाले से गंगाजी में बह रहे दूषित पानी के संबंध में आर्य नगर विधायक अमिताभ बाजपेई से भी बात की ।उनकी बातें आपको सुनाएं उससे पहले आपको बता दें स्वराज इंडिया प्रतिनिधि कल जल निगम ऑफिस भी गए । लेकिन दोपहर 2:00 बजे के आसपास कोई भी ऐसा जिम्मेदार अधिकारी हमें नहीं मिला जिससे हम इस संबंध में बात कर सके ।

40 लाख लीटर दूषित पानी गंगा में छोड़ता है परमिया नाला

परमिया नाला वो नाला है जो 30 से 40 लाख लीटर दूषित पानी गंगाजी में छोड़ता था ।
नमामि गंगे योजना के तहत इस नाले को टैप करके पंप हाउसके माध्यम से इसका पानी वाजिदपुर एसटीपी की ओर भेजा गया साथ ही पांच और नाले भी टेप किए गए लेकिन मां गंगा को प्रदूषित पानी से बचाने की यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी । बरसात हो या ड्राई सीजन यह टेप नाले ओवरफ्लो ही रहते हैं और बड़ी मात्रा में दूषित जल गंगा जी में छोड़ रहे हैं।
पंप हाउस पर मिले कर्मचारी ने हमें यह बताया कि साढ़े तीन एमएलडी क्षमता से इतर यह पंप हाउस 3 गुना पानी को पंप कर रहा है। लेकिन सच्चाई बयां करने के लिए इस नाले की दो तस्वीरें आपके सामने हैं । पहला वीडियो 30 नंबर को सुबह 8:00 बजे का है तो दूसरा वीडियो कल् यानी 4 दिसंबर का है इस पानी से उठ रही सड़ांध दुर्गंध आप नहीं महसूस कर सकते लेकिन पानी में उगता झाग चीख चीख कर बता रहा है कि पानी दूषित है ,, क्रोमियमयुक्त है । आगे आप देख सकते हैं वह पॉइंट जहां से यह पानी गंदा पानी गंगा जी में मिल रहा है , उन्हें दूषित कर रहा है । कुल मिलाकर चाहे परमट नाला हो सीसामऊ नाला हो या फिर परमिया नाला हर जगह कहानी यही है कि सरकार की योजना फेल हो चुकी है। इसके कारण क्या है इस पर गहन चिन्तन और शोध किए जाने की आवश्यकता है ।

मां गंगा में गिरने वाले नालों की टैपिंग और रोकने की योजना सही से परवाह नहीं कर सकी, जब तक हर नाले में एसटीपी नहीं लगेंगे कुछ नहीं होगा, अफसर और सरकार कागजी कार्रवाई करती है।

अमिताभ बाजपेई सपा विधायक

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