
स्वराज इंडिया | विशेष रिपोर्ट — कानपुर
मानव और पशु के बीच संतुलन की दिशा में ऐतिहासिक कदम
कानपुर।
कानपुर नगर निगम ने शहरी सीमा में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उससे उपजे मानव-श्वान संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। निगम द्वारा फूलबाग और किशनपुर स्थित दो एबीसी (Animal Birth Control) सेन्टर्स को अब पूर्ण क्षमता के साथ संचालित किया जा रहा है। यह कदम न केवल शहरवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि पशु कल्याण की दिशा में भी एक मानवीय पहल है।
प्रदेश में पहला पूर्ण क्षमता वाला सेन्टर: किशनपुर बना मॉडल
सी एण्ड डीएस संस्था के सहयोग से संचालित किशनपुर सेन्टर उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा एबीसी सेन्टर है, जो तीन माह पहले ही पूर्ण क्षमता पर संचालन प्रारंभ कर चुका है। यह उपलब्धि अन्य नगर निगमों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन चुकी है।
1.45 लाख आवारा कुत्तों पर नियंत्रण की रणनीति

नगर निगम की सीमा में अनुमानित 1.45 लाख आवारा कुत्ते हैं। इनके बधियाकरण और टीकाकरण के लिए निगम ने 5 डॉग कैचिंग वाहन व 15 प्रशिक्षित कर्मचारियों की टीम तैनात की है।
वहीं, एबीसी सेन्टर्स में 3 विशेषज्ञ पशु चिकित्सक और 2 अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर कार्यरत हैं। इनमें प्रतिदिन औसतन 60 सर्जरी और प्रतिमाह 1800 से अधिक बधियाकरण सर्जरी की जाती हैं — जो पहले 1200 थी।

रैबीज से सुरक्षा के साथ पालतू कुत्तों पर भी ध्यान
बधियाकरण के साथ सभी आवारा श्वानों का रैबीज टीकाकरण भी किया जा रहा है। साथ ही, नगर निगम द्वारा फ्री हेल्थ चेकअप एवं टीकाकरण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि पालतू श्वानों का पंजीकरण और टीकाकरण भी सुनिश्चित किया जा सके।
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर अर्थदंड का प्रावधान भी लागू है, जिससे लोगों को नियमों का पालन करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
शिकायतों का त्वरित निस्तारण व व्यवहार परीक्षण
आईजीआरएस, डीसीसीसी और कंट्रोल रूम जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से प्राप्त शिकायतों का त्वरित निस्तारण एबीसी सेन्टर्स द्वारा किया जाता है। आक्रामक श्वानों को चिन्हित कर उनके व्यवहार का परीक्षण किया जाता है। उपचार व सर्जरी के पश्चात इन्हें मूल स्थान पर वापस छोड़ा जाता है, जिससे श्वानों के व्यवहार में मानवीय परिवर्तन आता है। कुल मिलाकर यह पहल न केवल पशु कल्याण बल्कि शहरी जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बना रही है। नगर निगम का यह कदम कानपुर को एक जिम्मेदार और संवेदनशील शहर के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
