
मुख्य संवाददाता, स्वराज इंडिया, कानपुर। ईमानदार और सरल वीसी मदन सिंह गर्ब्यालय के राज में केडीए में धांधली नहीं थम रही हैं। उनकी सख्ती के बाद भी प्रवर्तन और अनुभागों विभाग की मिलीभगत से होटल, गेस्ट हाउस और अन्य कामर्शिलय प्रतिष्ठान दनादन ताने जा रहे हैं। इसके एवज में मोटी रकम की डील करके जेबें भरी जा रही हैं। इससे केडीए राजस्व को चपत लग रही है। जोन-2 में भौंती हाइवे स्थित दीपू चौहान फूड कोर्ट पिछले कई माह से निर्माणाधीन है लेकिन कार्रवाई के नाम पर नूराकुश्ती चल रही है लेकिन केडीए अफसरों ने फिर से एक्शन लिए जाने की बात कही है।
आपको बता दें कि पनकी के पास भौंति हाइवे के किनारे दीपू चौहान फूड कोर्ट का निर्माण किया जा रहा है। यहां पर 33 हजार वोल्टेज हाईटेंशन लाइन बगल से गुजरी है। निर्माणकर्ता ने केडीए को धोखा देने के लिए शहरी क्षेेत्र में जिला पंचायत से नक्शा पास करवा लिया था लेकिन केडीए में शिकायत पहुंची तो कार्रवाई शुरू हुई। तत्कालीन वीसी अरविंद सिंह के कार्यकाल में नोटिस जारी की गई और अग्रिम कार्रवाई तेज हुई तो उसने निचले तल में फूड कोर्ट शुरू करके अन्य निर्माण बंद करा दिया। वहीं, मामले को लटकाने के मकसद से स्थानीय कोर्ट में तथ्यों को छिपाकर वाद प्रस्तुत किया गया। अरविंद सिंह के तबादला होने के बाद मामला ठंडा हो गया। उपाध्यक्ष के पद पर मदन सिंह गर्ब्याल आए तो नियमकायदों को ताक पर रखकर निर्माण शुरू कर दिया गया। जब प्रकरण को लेकर चर्चा केडीए तक पहुंची तो प्रवर्तन अनुभाग के जिम्मेदारों से सवाल पूछे जाने लगे। इसपर दबी फाइल बाहर आ गई। इसपर 4 माह से अध्ययन चल रहा है। इधर, कोर्ट की आड की लेकर लगातार खुलेआम निर्माण कार्य किया जा रहा है लेकिन प्रवर्तन की टीम लाचार नजर आ रही है। वहीं, इस मामले में सचिव अभय पांडेय ने बताया कि कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण कार्रवाई में देरी हुई लेकिन प्रकरण निपटा दिया गया है, कार्रवाई के लिए फाइल प्रवर्तन अनुभाग को भेज दी गई है। वहीं, इस मामले में जोन-2 के ओएसडी डा. रविप्रताप सिंह ने कहा कि दीपू चौहान फूड कोर्ट के अवैध निर्माण की जानकारी है, कोर्ट का इश्यू के कारण कार्रवाई नहीं हो रही है लेकिन अब एक्शन होगा।

सवालों के घेरे में केडीए के अधिकारी
वर्तमान समय में उपाध्यक्ष ने शमन प्रक्रिया को सख्त करने को कहा है तो प्रवर्तन दस्ता शमन में जुट गया है। अनाधिकृत निर्माण करने वालों से शमन के नाम पर एडवांस चेक और पैसे जमा कराए जा रहे हैं लेकिन सबसे बडा सवाल यह है कि कार्रवाई के नाम पर दिखावा क्यों किया जा रहा है। शहर में कई ऐसे निर्माण हैं जिनमें केडीए के नियम कायदों की धज्जियां उडाई जा रही है लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी घोडे दौडाए जा रहे हैं। वैसे वीसी मदन सिंह गर्ब्यालय की कार्यशैली सरल है। वह खुद हर मामले को संज्ञान लेकर कार्रवाई करते हैं लेकिन उनके निर्देशों का अमल नहीं दिखता है।
