Friday, May 23, 2025
Homeराज्यउत्तर प्रदेशउत्तर प्रदेश में जटिल एवं चुनौतीपूर्ण होती पत्रकारिता !

उत्तर प्रदेश में जटिल एवं चुनौतीपूर्ण होती पत्रकारिता !

श्याम सिंह ‘पंवार’
(वरिष्ठ पत्रकार, सदस्य भारतीय प्रेस परिषद)

उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में अनेक पत्रकारों को प्रताड़ित किए जाने, धमकी दिए जाने और शातिरों की शिकायत पर पुलिस द्वारा बिना विलम्ब किये गिरफ्तार किए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि पूरे प्रदेश में सरकारी तंत्र द्वारा ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि कोई ईमानदार पत्रकार भी इस ओर लिखने की हिम्मत ना जुटा पाए। इसमें अगर सरकार का ‘अदृश्य समर्थन’ है तो यह बहुत ही निंदनीय है।
मेरे नजरिये से, “यह चिंता का विषय है! पत्रकारिता की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है।”
जबकि पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से अपना काम करने हेतु बढ़ावा देना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है। श्री पंवार ने कहा कि वसूलीबाज व कथित पत्रकारों पर निगरानी रखना आवश्यक है क्योंकि ये लोग अनैतिक कृत्यों की आड़ में ही अपनी ‘आय’ खोजते हैं और अनैतिक कार्यों के कारकों का संरक्षण करने में संलिप्त हो जाते हैं, जिसके चलते एक जिम्मेदार वर्ग (पत्रकारों का समूह) बदनाम हो रहा है! इस पर लगाम लगना चाहिए। लेकिन उन पत्रकारों के रास्तों में कोई अड़चन ना खड़ी की जाए जो वास्तविक पत्रकारिता कर देश व समाजहित में कलम चलाना अपना फर्ज समझते हैं।

वर्तमान में निम्न तथ्य देखने को यह मिल रहे हैं

-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी तंत्र द्वारा संचालित गौशालाओं में गायों की दुर्दशा लिखना, सरकारी तंत्र को पसंद नहीं और जनप्रतिनिधियों को गायों की दुर्दशा दिखती नहीं।

-स्वच्छ भारत मिशन सहित अनेक सरकारी योजनाओं में किया जा रहा भ्रष्टाचार, सरकारी अधिकारियों को ही नहीं अपितु जनप्रतिनिधियों को भी नहीं दिख रहा ! शायद कारण यह हो सकता है कि जनप्रतिनिधियों की आंखों पर कमीशनखोरी का चश्मा लगा है।

-सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए किए जा रहे अथवा किये गए प्रयास नाकाफी दिख रहे हैं।

-सरकारी कार्यालयों में आम जन को अपने कार्य सम्पन्न करवाने के लिए कितनी भागदौड़ करनी पड़ रही है, इसका अहसास तो उसे ही है जो कार्यालयों की चौखटों का चक्कर लगा रहा है।

-शहरी क्षेत्रों में किये जा रहे अनैतिक कृत्यों को लिखना व दिखाना अब दुश्वार होता जा रहा है।

-मानकों को ताक पर किये जा रहे विकास कार्य, अवैध निर्माण, अवैध कब्जों सहित ऐसे महत्वपूर्ण अनेक बिन्दु हैं जिन पर विस्तार से लिखा जा सकता है किंतु देखने को मिल रहा है कि सरकार अथवा सरकारी तंत्र की नाकामियों को लिखने की हिम्मत जुटाने वालों को, इस ओर ‘कुछ’ लिखने के बाद अनेक दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है, जो कि उचित नहीं है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!