
निखिलेश मिश्रा, साइबर एक्सपर्ट पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी अधिकारी
स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो ।
आप इंटरनेट पर कोई भी कार्य करते हैं, उसकी शेसन आईडी जेनरेट होती है। अलग अलग काम के लियेअलग अलग शेसन आईडी जेनरेट होती है। आपने किसी साइट पर लॉगिन किया तो उसकी शेसन आईडी, अगर आपने डेबिट कार्ड से पेमेंट किया तो उसकी शेसन आईडी।
यदि ये शेसन आईडी जिस किसी के हाथ लग जाती है तो वह उसका इस्तेमाल अपने ब्रॉउसर में कर के आपके काम पर नियंत्रण पा लेता है। आपके डेटा तक को बदल देता है।
यदि आपको अपने काम की अपनी शेसन आईडी देखनी है तो राइट क्लिक करें और इंस्पेक्ट पर क्लिक करें, एप्पलीकेशन में जाये और शेषन आईडी कॉपी कर ले। इसके बाद आप मोबाइल में अथवा किसी अन्य ब्रॉउसेर में अथवा पीसी में जहां भी चाहें वहां वह शेसन आईडी इंटर करते ही आपकी वह डिटेल या आपका वह कार्य ओपन हो जाएगा।
इसी टेक्नीक का इस्तेमाल कर के हैकर्स आपकी सेंधमारी करते हैं। वे स्पाइवेयर, रेन्समवेयर के द्वारा आपकी शेसन आईडी चुराते हैं तो नियंत्रण अपने हाथ मे ले लेते हैं। वे आपके खाते से पैसे उड़ा देंगे याफिर आपके अकॉउंट हैक कर लेंगे।
इससे बचने के लिएअपनी ब्राउज़र को क्लियर कैश और क्लियर कुकीज करते रहें ताकि इस्तेमाल किये गए सभी कामो की शेसन आईडी डिलीट हो जाए। जब एकबार ये डिलीट हो गयी तो हैकर्स के पिताजी भी आपकी सेंधमारी नही कर पाएंगे।
चूंकि आप बहुत ज्यादा टेक्निकल भी नही है, इसलिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय OSI मॉडल की पांचवी लेयर जिसे शेसन लेयर भी कहते हैं, के बारे में उपरोक्तानुसार बेसिक ज्ञान होना आवश्यक है ताकि आप हमेशा फ्राड से बचे रहें। जानकारी ही बचाव है।