स्वराज इंडिया एक्सक्लुसिव

अयोध्या नगर निगम के अफसरशाही पर उठे सवाल
पार्क सुंदरीकरण योजना में करोड़ों की गड़बड़ी का आरोप
उक्त मामले में एक दूसरे पर टाल रहे नगर निगम के जिम्मेदार
स्वराज इंडिया संवाददाता
अयोध्या। नगर निगम अयोध्या एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में है। इस बार मामला करोड़ों रुपये के पार्क सुंदरीकरण कार्य से जुड़ा है। एक आरटीआई के जवाब ने खुलासा किया है कि नगर निगम ने छह पार्कों के लिए मिले लगभग 4.54 करोड़ रुपये की धनराशि में पारदर्शिता नहीं बरती है।
प्रकरण साकेत पुरी कॉलोनी का है, जहां नगर निगम ने सात मार्च 2024 को छह पार्कों के सुंदरीकरण के लिए टेंडर निकाले थे। परंतु एक वर्ष बीतने के बावजूद न तो सभी पार्कों में काम पूरा हुआ है, न ही उनकी खर्च की गई धनराशि की जानकारी आरटीआई के जरिए सार्वजनिक की गई।

आरटीआई में केवल एक पार्क—धर्मेंद्र कुमार तिवारी के मकान के सामने—के लिए ₹55.64 लाख खर्च होने की पुष्टि की गई है। बाकी पांच पार्कों पर धनराशि खर्च के जवाब में “कार्य प्रगति पर है” कहकर निगम ने चुप्पी साध ली है।
विवादों की जड़ बैंक के गोद लिए पार्क पर टेंडर
प्राधिकरण द्वारा भेजे गए दस्तावेजों के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा के सामने वाले पार्क को बैंक ने गोद लिया था। इसके बावजूद नगर निगम ने इस पर भी ₹23.69 लाख का टेंडर जारी कर दिया। बाद में जब आरटीआई के जरिए सवाल उठे तो नगर निगम ने जवाब में सुंदरीकरण से इंकार कर दिया।
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इन पार्कों के लिए मिली थी धनराशि:
- धर्मेंद्र कुमार तिवारी के मकान के सामने – ₹56.46 लाख
- राजेश जायसवाल के सामने – ₹23.42 लाख
- टंकी वाला पार्क, कमलाकांत तिवारी के पास – ₹36.56 लाख
- संजय अग्रवाल के सामने – ₹18.61 लाख
- दीपक सिंह के सामने – ₹13.25 लाख
- बृजकिशोर गौड़ के सामने – ₹12.26 लाख
सभी फंड 31 जनवरी 2024 को चेक संख्या 41570 के माध्यम से पंजाब नेशनल बैंक से जारी कर नगर निगम को ट्रांसफर किए गए थे।

- प्रशासन की चुप्पी, जनता की चिंता
- जब उक्त मामले में नगर निगम के अपर आयुक्त शशि भूषण राय से जानकरी चाही गयी तो उन्होंने कहा कि पार्को का काम अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार देखते है। जब उक्त सन्दर्भ में सुमित कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने फिर शशि भूषण रॉय के ऊपर मामला टाल दिया और कहा कि सिविल का कार्य निर्माण विभाग से सम्पर्क करिये। जब हमने उक्त मामले में नगर निगम के जनसपंर्क अधिकारी मुकेश पांडेय से संपर्क किया गया तो उन्होंने कई लोगो को फोन किया लेकिन कोई सही जबाब नही मिल पाया।
- इस पूरे मामले में नगर निगम की चुप्पी और जवाबों की गोलमोल भाषा से पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- मामले की हो उच्च स्तरीय जांच-सूर्यकांत पांडेय
- अशफाक उल्ला खां मेमोरियल शहीद शोध संस्थान के प्रबंध निदेशक सूर्य कांत पाण्डेय नगर निगम की भूमिका को संदिग्ध मान रहे हैं और उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी परियोजनाओं में मिले फंड के खर्च और प्रगति की सार्वजनिक जानकारी देना अनिवार्य होता है। पर यहां एक साल बाद भी कार्य पूरा नहीं हुआ और जवाब अधूरे हैं।


