Friday, August 22, 2025
Homeब्रेकिंग न्यूजशिक्षा का बाजारीकरण: छोटे प्राइवेट स्कूल भी संकट में, आम आदमी के...

शिक्षा का बाजारीकरण: छोटे प्राइवेट स्कूल भी संकट में, आम आदमी के लिए गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई दूर का सपना

प्रमुख संवाददाता स्वराज इंडिया

कानपुर। एक समय था जब शिक्षा को सेवा माना जाता था—ज्ञान, मूल्य और समाज निर्माण इसका आधार थे। लेकिन पिछले दो दशकों में हालात बदल गए। शिक्षा को जब सेवा से हटा गया, तब दावा किया गया था कि बाज़ार में प्रतियोगिता से गुणवत्ता बढ़ेगी। शुरुआत में सरकारी स्कूलों को ‘अक्षम’ और ‘पिछड़े’ बताकर उनकी नीतियों व संसाधनों को कमजोर किया गया। इसके बाद छोटे निजी स्कूलों को विकल्प के रूप में आगे किया गया, ताकि लोग इन्हें सरकारी स्कूलों से बेहतर मानें।लेकिन यह पूंजीवादी खेल यहीं नहीं रुका। समय के साथ शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान देने के बजाय मुनाफा कमाना बन गया। नतीजतन वही छोटे निजी स्कूल, जो कभी सरकारी शिक्षा का विकल्प माने गए थे, अब बड़े-ब्रांडेड कॉरपोरेट स्कूलों के दबाव में टिक नहीं पा रहे हैं। महंगे ढांचे, विदेशी पाठ्यक्रम और आक्रामक मार्केटिंग के आगे छोटे स्कूल आर्थिक रूप से टूट रहे हैं।

माता-पिता की जेब बना ‘मानक’अब सवाल उठ रहा है

क्या अच्छे स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चे की योग्यता नहीं, बल्कि माता-पिता का बैंक बैलेंस ही असली मानक बन चुका है? लाखों रुपये की फीस, एडमिशन चार्ज और अन्य खर्च आम मध्यमवर्गीय परिवारों की पहुंच से बाहर हैं। नतीजतन, आम आदमी के लिए ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ एक दूर का सपना बनती जा रही है।सिर्फ सरकारी स्कूलों की हार नहीं, समाज की भी हारशिक्षा के इस निजीकरण ने केवल सरकारी स्कूलों को कमजोर नहीं किया, बल्कि पूरे समाज की बराबरी की बुनियाद हिला दी। जिन बच्चों को समान अवसर मिलने चाहिए थे, वे अब आर्थिक हैसियत के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बंट चुके हैं। शिक्षा एक पवित्र अधिकार से हटकर महंगा उत्पाद बन गई है।

क्या मिलेगा सबक?

अब जबकि छोटे निजी स्कूल भी अस्तित्व संकट से जूझ रहे हैं, यह अहसास होना चाहिए कि शिक्षा को सेवा बनाए रखना कितना ज़रूरी था। वरना वह दिन दूर नहीं जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक विशुद्ध विलासिता बन जाएगी—और आम आदमी के लिए उसका दरवाज़ा हमेशा के लिए बंद हो जाएगा।—

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!