Friday, August 22, 2025
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…क्या अनुप्रिया पटेल ने बिरादरी से किया विश्वासघात!

पार्टी को खून पसीने से सीचने वाले कार्यकर्ता अब कार्यकर्ता खुद चलाएंगे दल

स्वराज इंडिया / लखनऊ

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक जुलाई 2025 को ‘अपना मोर्चा’ के संयोजक और सदस्य मीडिया से मुखातिब हुए. संयोजक चौधरी ब्रजेंद्र प्रताप सिंह पटेल ने कहा कि हम यहाँ जो भी कह रहे हैं, वह मोर्चा का समवेत स्वर है.

हम आज अधिकृत रूप से सूचित कर रहे हैं कि लम्बे विमर्श के बाद ‘अपना मोर्चा’ का गठन किया गया है. मोर्चा ही अब अपना दल सोनेलाल के कार्यकर्ताओं की अधिकृत आवाज माना जाए. अब तक हम जिन्हें कमेरा समाज का भरोसेमन्द चेहरा समझ रहे थे, वो श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल परिवार वादी और उससे कहीं आगे जाकर सिर्फ पति वादी साबित हुई हैं. उनका झूठ कार्यकर्ता जान चुके हैं. मगर अफसोस कि यह सच्चाई साबित होने और समाज तक आने में 10
वर्ष लग गए.

केंद्र सरकार की राज्य मन्त्री अनुप्रिया पटेल की अपमानित करने वाली हरकतों से आजिज कार्यकर्ता अब खुद दल की कमान सम्भालेंगे. दल के 9 मौजूदा विधायक हमारे और हम उनके सम्पर्क में हैं. हम दिल्ली की तरफ देख रहे हैं, जल्द ही हम किसी ठोस नतीजे पर पहुँच जायेंगे. मोर्चा इस बात पर भी मन्थन करेगा कि
एनडीए से मिलने वाली  विधान सभा- लोकसभा की सीटों पर हम दावा करें या नहीं? दल के विधायक भी बेचैन हैं और कार्यकर्ता भी.
दल को मिया-बीवी प्राइवेट लिमिटेड बना दिये जाने से हजारों कार्यकर्ता और कुर्मी समाज के लोग निराश हैं.
सत्ताधारी दल में भगदड़ मची है. मोर्चा इस बिखराव को रोकना और समाज के लोगों के सामने सच लाना अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझता है.


हम बिरादरी के बीच जाकर 10 साल का सच लोगों को बतायेंगे. अपील करेंगे कि समाज उनसे और हमसे सवाल करे, हम जवाब देंगे. फिर जो  फैसला बिरादरी का होगा, वो सिर माथे पर रखेंगे. बिरादरी से हमारा मतलब किसान- कुर्मी- कमेरा समाज से है, जिसकी लड़ाई 25 साल पहले हमारे बुजुर्गों ने राजनीतिक दल बनाकर शुरू की थी. अब नई पीढी है, हम उनके बीच जायेंगे. हम उनको बतायेंगे जाकर कि 10 साल जिन्हे अपने कन्धों पर लादकर सत्ता के सिंहासन पर लाये, वो कमजोर और लालची हैं.
उन्हें दौलत और पति के सिवाय कुछ नहीं दिखता. अहंकार इतना है कि दल छोड़कर जाने वाले तमाम पदाधिकारियो से बात तक नहीं की और दल से बाहर जाते ही उन्हें दो कौड़ी का कहा, अपशब्द कहे.

अपना दल  सोनेलाल की स्थापना करने वाले बहुसंख्य नेता और जिलों- गांवों के मिशनरी कार्यकर्ता अब ‘अपना मोर्चा’ के साथ हैं. दो दिन के बाद हम शेष लोगों को भी साथ आने की अपील करेंगे.
मोर्चा मांग करता है कि अब भारतीय जनता पार्टी की लीडरशिप इस बात का सर्वे कराये कि किसान- कुर्मी- कमेरा मतदाता किसके साथ है?
हम जानते हैं कि लोग बिखर गए हैं. इसीलिए हम बिखर गई टीम को एकजुट करने का अभियान चला रहे हैं. एनडीए में हमें लाने वाले गृहमंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष श्री अमित शाह जी देख लें कि श्रीमती अनुप्रिया पटेल और उनके पति ने जो हरकतें पीछे 10 साल में कार्यकर्ताओं और बिरादरी के साथ की है, उसके कारण कुर्मी बिरादरी का राजग से भी मोह भंग हुआ है.

वह कार्यकर्ताओं के बीच भरोसा खो चुकी हैं, बिरादरी में भी उनके प्रति  कोई सहानुभूति नहीं बची.

उत्तर प्रदेश का कुर्मी- किसान- कमेरा समाज एक बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में अपने बीच के आदमी को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहता है. अपना मोर्चा हर संभव कोशिश करेगा कि भारत रत्न लौह पुरुष  सरदार वल्लभ भाई पटेल का कोई बेटा- बेटी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हो सके. वर्ष 1989 में मण्डल आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद से अब तक अधिकांश बड़ी आबादी वाली जातियों के लोग उस कुर्सी पर बैठ चुके हैं और हमने हमेशा उन्हें आगे  बढ़ाया है. अब हमारी बारी है, भाजपा की लीडर शिप से अनुरोध है कि वे स्वयं भी अपना कोई कुर्मी कुल का कार्यकर्ता इस पात्रता के लिए तैयार करें तो मोर्चा  उनका सहज आभारी होगा.

नया मोर्चा उत्तर प्रदेश में समाज के बीच जाएगा और नए लोगों से अपील करेगा कि वे राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएं.

मोर्चा के संयोजक चौधरी ब्रजेंद्र प्रताप सिंह पटेल ने आगे कहा कि अपना दल सोनेलाल का गठन भी हम कार्यकर्ताओं ने मिलकर किया था, उस वक्त हम सबने श्रीमती अनुप्रिया पटेल को इस अभियान का चेहरा चुना था और अध्यक्ष एक पुराने कार्यकर्ता श्री जवाहरलाल पटेल थे. 2017 में उत्तर प्रदेश में सत्ता की हिस्सेदारी मिलते ही साजिश करके श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने विधायक दल की बैठक में ही कार्यकर्ता को हटाकर अपने पति श्री आशीष सिंह पटेल को अध्यक्ष बनाने का प्रपत्र और राज्यपाल को सौंपने के लिए विधायक दल का समर्थन प्रपत्र तैयार करवाया. सभी के दस्तखत लेकर राजभवन चली गई. सत्ता के जोश में अध्यक्ष की बेदखली की आवाज दब गई. कागज पहले से तैयार थे, उनके पति बतौर अध्यक्ष (अपना दल सोनेलाल) भाजपा के उस वक्त के संगठन मन्त्री श्री सुनील बंसल जी के यहाँ गए और यह समझौता कर आये कि अन्य सहयोगी दलों की तरह हमें कैबिनेट मन्त्री का पद नहीं चाहिए. फिलहाल  राज्य मन्त्री को ही शपथ दिलवा दें. श्रीमती अनुप्रिया और उनके पति की नजर विधान परिषद सीट और कैबिनेट मन्त्री पद पर लगी थी. इसके लिए दोनों लोगों ने मिलकर कुर्मी विधायकों यानी
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और दूसरी बार लगातार जीतकर आये विधायक डॉ. आरके वर्मा से लेकर 1995 से पार्टी चलाने वाले बनारस के विधायक श्री नील रतन पटेल तक को किनारे कर दिया. दल के एक वरिष्ठ नेता के अड़ जाने पर जहानाबाद के कुर्मी  विधायक श्री जय कुमार सिंह जैकी को दिखाने के लिए राज्य मन्त्री तो बन जाने दिया मगर पूरे पांच वर्ष तक उनको कमजोर रखा. हर छह माह में ऐसी बाते कहीं कि अब श्री जैकी की जगह प्रदेश अध्यक्ष श्री डॉ. जमुना सरोज को मन्त्री पद दिया जायेगा या किसी अन्य को. लगातार श्री जैकी को मन्त्री के रूप में सशक्त करने के लिए एक बार भी श्रीमती अनुप्रिया और उनके पति मुख्यमंत्री से मिलने नहीं गए. साथ ही मन्त्री के अन्य जिलों में मूवमेंट भी बाधित किए गए. 2022 आते आते श्री जैकी के विधान सभा क्षेत्र जहानाबाद का टिकट ही नहीं मांगा गया. इसी तरह बनारस में कुर्मी विधायक श्री नील रतन पटेल की सेवापुरी सीट नहीं मांगी गई और उन्होंने दल छोड़कर भाजपा से चुनाव लड़ा और जीते. यही हाल कुर्मी विधायक श्री आर के वर्मा का किया गया. बाद में श्री वर्मा सपा में गए और विधायक भी बने. श्री वर्मा के पिछले चुनाव में भी केंद्रीय मन्त्री अनुप्रिया पटेल ने चुनाव प्रचार नहीं किया मगर डॉ वर्मा जीतकर आ गए तो उन्हें लगातार अपमानित करने वाले हालात पैदा किए. यही हश्र सोहरतगढ़ के कुर्मी विधायक अमर सिंह चौधरी के साथ हुआ. सभी विधायक किनारे करके अपने पति श्री आशीष सिंह को ही अनुप्रिया जी ने आगे बढ़ाया. कुर्मी हक की लड़ाई यहीं सीमित हो गई और फिर ऐसी कोशिश हुई कि सीट ज्यादा बढ़ें मगर कुर्मी विधायक कम बने. इसके लिए 2022 में सर्वाधिक आरक्षित सीटें ली गई. श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने हर बात के लिए बड़े सधे हुए ढंग से हम सब से कहा कि जो हो रहा है, ‘अध्यक्ष जी’ ( भाजपा के तबके अध्यक्ष श्री अमित शाह जी)  के कहने पर हो रहा है. हम सबके के सामने ‘यकीन’ के सिवाय कोई चारा न था. पति- पत्नी के आगे दल बौना हो गया. दल के राष्ट्रीय उपाधयक्ष चौधरी नेपाल सिंह कसाना ने तो सिर्फ यही कहकर दल छोड़ दिया कि दो माह तक अनुप्रिया जी से मिलने की कोशिश की और हर बार उनके पति ही मिलते और चलता कर देते. हर कदम पर धोखा मिलता रहा. *मिर्जापुर के लोकसभा चुनाव में सर्व समाज को एकजुट करने वाले और दल के लिए बनारस के व्यापारी वर्ग से खुली आर्थिक मदद दिलाने वाले जय प्रकाश नारायण के साथी रहे बुजुर्ग नेता डॉ. रविंद्र नाथ द्विवेदी को भी कार्यकर्ताओं के सम्मान का सवाल उठाने पर कठघरे में खड़ा किया गया तो उन्होंने भी दल छोड़ दिया. डॉ द्विवेदी यह चाहते थे कि जिस तरह से मूल अपना दल बनाने वाले डॉ. सोनेलाल पटेल का स्थान दल में है उसी तरह का मान दूसरे संस्थापक रहे इंजीनियर बलिहारी पटेल को भी दिया जाए जिससे एक व्यक्ति कि पार्टी होने का भाव खत्म होगा. मगर पति पत्नी का एजेंडा वक्त रहते पदाधिकारी भी न समझ पाए*
वक्त के साथ विधायकों से लेकर पार्टी के संथापकों ने दल छोड़ना शुरू किया. अब तक सभी बुनियादी पदाधिकारी, 7 पूर्व सांसद – विधायक और मौजूदा दर्जा प्राप्त मन्त्री, युवा समेत प्रदेश अध्यक्षों ने भी दल छोड़ दिया है. इनमें से ज्यादातर मोर्चा के साथ हैं, कुछ सामने हैं और शेष एक एक करके शामिल होंगे.
भाजपा की लीडरशिप और कुर्मी समाज को देखना होगा की सत्ताधारी दल को  आखिर वही लोग क्यों  छोड़ रहे हैं जिन्होंने इसके लिए लम्बी लड़ाई की थी? हकीकत ये है कि दल एक फैमिली क्लब रह गया है और स्वाभिमानी लोग खूनका घूँट पीरहे हैं.

अनुप्रिया पटेल 10 वर्षों से ‘इमोशनल गेम प्ले’ कर रही हैं.

आरोप हैं कि उन्होंने किसी को ‘लव यू’ कहकर छला तो किसी का गुस्सा ‘बेचारी’ बनकर शांत कर दिया. 
जब भी कुछ गलत होते दल में हम सबने ‘रंगे हाथ’ पकड़ा तो उसकी तोहमत अपने पति श्री आशीष सिंह पटेल पर लगाकर खुद साफ बच निकलीं.
हमने 10 साल तक इन पति पत्नी के व्यवहार में सुधार की उम्मीद बनाये रखी. मगर हालात दिन ब दिन बिगड़ते गए. कुर्मी समाज का व्यापक अहित हुआ. अनेक मामलों में यह लोग सिर्फ सत्ता के भोपू बने रहे. मामला प्रतापगढ़ में पटेलों के घर फूंक दिये जाने का हो या भोपाल में पटेलों पर चली सरकारी गोली का, इनके दोहरे बर्ताव से समाज का नुक्सान हुआ. इसलिए अब मोर्चा बनाकर सामने आए हैं कि सच्चाई समाज तक पहुँचे. अकेले सही बात कहने वाले दल के नेताओं को इन लोगों ने ‘ पेड सोशल ट्रोलरों ‘ से पटेल जाति फर्जी आइडी बनवाकर बदनाम करवाने की चाल भी चली. एक पोर्टल चलाने वाले कुर्मी पत्रकार के खिलाफ  लामबंदी की गई. ऐसे ईमानदारी से सच बोलने के लिए हमारा मोर्चा बनाना आवश्यक हो गया था. दल के नेता जानते हैं कि ककिस तरह से पति पत्नी ने मिलकर  सिर्फ अपने हित के कुर्मी बिरादरी के सामाजिक संगठनों में दो फाड़ करवाये और अनेक  रिटायर अफसरों के ग्रुप बनाकर किसी एक दो को  एमएलसी बनाने का लालच दिया. उनकी यह हरकतें अभी भी जारी हैं.
हम सब उनके पति का मानसिक व्यवहार जो अब सार्वजनिक है, पहले दिन से जानते हैं और लगातार सम्मान बचाने को खुद भी सतर्क रहे हैं.
दल में दर्जनों ऐसे लोग अभी भी हैं जो श्रीमती अनुप्रिया पटेल के पति के आचार-विचार- व्यवहार के गवाह हैं- पीड़ित हैं.

श्री आशीष सिंह पटेल पहले दिन से ही ऐसे थे, हम
इस सच को जानते हुए भी श्रीमती अनुप्रिया पटेल को हम सबने उनको अपना दल सोनेलाल का चेहरा चुना था. मगर उन्हें गुमान है कि दल उनके पिता की प्रापर्टी है और शेष लोग  उनके ‘गुलाम’. दल की ‘कोर’ बैठकों में हम कार्यकर्ताओं के सामने सिर्फ परिवार के झगड़ों का रोना रोया.  डॉ. सोनेलाल पटेल को कुर्मी समाज ने अपने खून से सींचकर एक सियासी शख्स बनाया था. अब वही लोग अपमान की आग में जल रहे हैं.
श्रीमती अनुप्रिया पटेल हमारे सवालों पर खामोश हैं. 10 वर्षों में दल का चुनाव क्यों नहीं हुआ? किसी कुर्मी विधायक को दल का अध्यक्ष- कार्यकारी अध्यक्ष क्यों नहीं चुना? सिर्फ पति पत्नी ही कुर्मी समाज के प्रतीक हैं क्या? सत्ता से दौलत बनाने के फेर में श्रीमती अनुप्रिया पटेल दल और मिशन दोनों में सिर्फ मुखौटा रह गई हैं. ये सच वो जानती हैं इसीलिए भयाक्रांत भी हैं. मोर्चा कोशिश करेगा कि पूरी सचाई से श्री अमित शाह भी अवगत हों और समाज भी. इसके बाद कोई भी फैसला लिया जायेगा.
व्यापक पिछड़ा और अन्य समाज की लड़ाई की शपथलेने वाले दल में ऐसी संकीर्ण हालत है कि दल के संस्थापकों में शामिल रहे इंजीनियर बाबू बलिहारी पटेल की जयन्ती 10 साल में एक बार भी नहीं मनाने दी गई. अपना दल का गठन हम सबने 2017 में किया था और  इसकी स्थापना 1995 में होने का ढोंग क्यों अब भी किया जा रहा है. जबकि
करती हैं? *डॉ सोनेलाल पटेल और इंजीनियर बलिहारी पटेल के 1995 वाले अपना दल का विवाद कोर्ट में है और उसका नाम इस्तेमाल करने पर प्रतिबन्ध है*.  दल में महापुरुषों की जयंती मनाने वाले सूची में किसान नेता पूर्व मंत्री चौधरी नरेंद्र सिंह का नाम रखे जाने की मांग करने वाले किसान नेता और किसान मंच के तबके प्रभारी पटेल सुख लाल किसान को ही पार्टी से हटा दिया गया था. 10 साल के हजार सच हैं जो मोर्चा समाज के सामने लेकर जायेगा.

2 जुलाई को मोर्चा की एक बैठक पिकनिक स्पॉट रोड फरीदी नगर लखनऊ के कुर्मी क्षत्रिय भवन में 1 बजे. इसमें आगे की योजना पर विचार होगा.

मोर्चा की प्रेस ब्रीफिंग में संयोजक के रूप में श्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह पटेल,
अपना दल बलिहारी के अध्यक्ष श्री धर्म राज पटेल,
राष्ट्रीय जनसरदार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हेमंत चौधरी, श्री बौद्ध अरविंद सिंह पटेल ( सदस्य पूर्वांचल विकास बोर्ड), अपना दल सोनेलाल के पूर्व राष्ट्रीय सचिव- किसान नेता केदारनाथ सचान, अपना दल यूनाइटेड के अध्यक्ष श्री बच्चा सिंह पटेल, किसान- नवजवान संघ के कार्यकारी अध्यक्ष पटेल महेंद्र सिंह शामिल रहे.

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