
भारत की अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय प्रगति की है
उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा
संजय सक्सेना, स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
लखनऊ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार ने 11 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह समयावधि न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि आर्थिक, सामाजिक और आधारभूत ढांचे के दृष्टिकोण से भी बेहद अहम रही है। सवाल यही है कि इन 11 वर्षों में देश ने क्या खोया, क्या पाया? सबसे पहले आर्थिक विकास की बात करें तो भारत की अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय प्रगति की है। आज भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 4.2 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छू चुका है, जो देश को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर करता है। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 2014 से औसत वार्षिक वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रही है, जो हालिया तिमाही में 7.4 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और निरंतरता को दर्शाता है।मुद्रास्फीति पर नियंत्रण भी उल्लेखनीय रहा है। जहां 2013-14 में यह 9.4 प्रतिशत के स्तर पर थी, वहीं अब घटकर 4.6 प्रतिशत हो गई है। इससे आम नागरिकों और व्यापारियों को स्थिरता मिली है और भविष्य की योजना बनाना सरल हुआ है।
बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में भी काफी काम हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 2014 में जहां 91,287 किलोमीटर थी, वहीं अब यह 1,46,204 किलोमीटर हो गई है। निर्माण की गति भी तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई है कृ 12 किलोमीटर प्रतिदिन से बढ़कर 34 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंच गई है। चार लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों के निर्माण के जरिए 99 प्रतिशत ग्रामीण भारत को राष्ट्रीय सड़क नेटवर्क से जोड़ा गया है, जिससे गांवों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिला है।रेलवे सेक्टर में भी परिवर्तन देखने को मिला है। पिछले दशक में 25,871 किलोमीटर नई पटरियाँ बिछाई गईं, जो इससे पूर्व के दशक की तुलना में लगभग दोगुनी हैं। भारत अब लोकोमोटिव निर्माण में अग्रणी बन चुका है, और 2024-25 में 1,681 इंजन निर्माण की योजना है। यह संख्या अमेरिका, जापान और यूरोप के कुल उत्पादन से अधिक है। रेलवे अब प्रतिदिन 30 मिलियन से ज्यादा यात्रियों को सेवा दे रहा है और सालाना 1,617 मिलियन टन माल ढुलाई कर रहा है, जिससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मालवहन रेलवे नेटवर्क बन गया है।


पूर्वाेत्तर राज्यों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की दिशा में भी अहम प्रगति हुई है, जिससे क्षेत्रीय एकीकरण को बल मिला है। माल-ढुलाई के लिए समर्पित डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की स्थापना से माल यातायात तेज हुआ है और यात्री ट्रेनों की भीड़ में भी कमी आने लगी है।हवाई यातायात में भी पिछले 11 वर्षों में बड़ा बदलाव आया है। 2014 में देश में केवल 74 परिचालन हवाई अड्डे थे, जो अब बढ़कर 160 हो चुके हैं। ‘उड़ान’ योजना के तहत छोटे और दूरदराज शहरों को हवाई नक्शे पर लाया गया है। सरकार का लक्ष्य 2047 तक 300 हवाई अड्डों का नेटवर्क तैयार करना है, जिससे कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स को गति मिलेगी।
शहरी क्षेत्रों में ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ के तहत 8,000 से ज्यादा परियोजनाओं पर काम हो रहा है, जिसमें 1.64 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है। शहरी परिवहन में दिल्ली मेट्रो की भूमिका उल्लेखनीय रही है, जिसका विस्तार अब 15 शहरों तक हो चुका है। इससे सार्वजनिक परिवहन की गुणवत्ता और पहुंच दोनों में सुधार हुआ है। ऊर्जा क्षेत्र में भी भारत ने लंबी छलांग लगाई है। 2014 में भारत की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता केवल 2.82 गीगावाट थी, जो अब बढ़कर 105.65 गीगावाट हो गई है। कुल स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन 228.28 गीगावाट तक पहुंच चुका है, जिससे भारत सौर ऊर्जा में तीसरा और पवन ऊर्जा में चौथा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।

डिजिटल क्रांति भी मोदी सरकार की बड़ी पहल
डिजिटल क्रांति भी मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। आधार और यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म्स की मदद से देश में डिजिटल लेन-देन और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है। इस डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) ने न केवल प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) को सुचारू किया, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग पहुंच भी सुनिश्चित की। विश्व बैंक के अनुसार, जो काम कई देशों को दशकों में नहीं कर पाते, भारत ने छह वर्षों में कर दिखाया। आज भारत का DPI मॉडल 12 से अधिक देशों द्वारा अपनाया जा चुका है।गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में जहां गरीबी दर 29.17 प्रतिशत थी, वह 2022-23 में घटकर 11.28 प्रतिशत रह गई है। इस अवधि में 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं, जिससे सामाजिक विकास को भी गति मिली है।