
राजस्व कर्मियों की मिली भगत से रिश्तेदारों के नाम कर दी गई थी मंदिर की जमीन
-नायब तहसीलदार अशोक कुमार की तहरीर पर दर्ज किया मामला
-जानकारों की माने तो आरोपितों को जेल भी हो सकती है, चार लेखपाल निलंबित
स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
औरैया/कानपुर: औरैया जनपद के प्रसिद्ध देवकली मंदिर की जमीन हेराफेरी मामला सामने के बाद हड़कंप मचा है । मंदिर की जमीन में की गई अवैध प्लाटिंग में दो प्लाट परिवार व रिश्तेदार के नाम कराने के मामले में सदर कोतवाली व दिबियापुर में दो मुकदमा दर्ज किए गए हैं। कोतवाली में किए गए मुकदमे में तीन लेखपाल समेत 10 के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज हुआ है। जबकि दिबियापुर में मामले में शामिल अधिवक्ता के खिलाफ धोखाखड़ी सहित पांच से अधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। आरोपितों की गिरफ्तारी काे लेकर पुलिस दबिश दे रही है। वहीं देर रात मामले में तीनों लेखपाल को प्रशासन ने निलंबित कर दिया है। साथ ही अभिलेखागार में तैनात लेखपाल धरमवीर यादव को भी निलंबित कर दिया है।
सदर तहसील में तैनात राजस्व निरीक्षक लालाराम की एक तहरीर 25 अप्रैल को प्रशासन की तरफ से इंटरनेट मीडिया पर प्रचलित किया गया था। लेखपाल अंकित तिवारी व शशांक दुबे ने गांव खानपुर के तत्कालीन लेखपाल अवनीश से मिली भगत कर देवकली मंदिर की जमीन पर की गई प्लाटिंग में दो प्लाट मां व साले के नाम करवाने का आरोप लगाया था। साथ ही अभिलेखागार से अभिलेख चोरी करने का भी आरोप लगा था। मंदिर की जमीन अपने नाम करने का मामला लोगों में चर्चा का विषय बन गया। रविवार देर रात तक मामले में संशोधित तहरीर पुलिस को नहीं मिली थी। सोमवार देर रात करीब 10 बजे नायब तहसीलदार फफूंद अशोक कुमार की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने लेखपाल अंकित तिवारी, शशांक दुबे, अवनीश कुमार सहित सीतू तिवारी, प्रभा देवी, सुमन शुक्ला, जितेंद्र कुमार, अरुण शुक्ला, सुमन देवी मयंक तिवारी के खिलाफ धोखाधडी, कूट रचित दस्तावेज,षडयंत्र करने की सहित सात धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ कर लिया है। आरोप है कि लेखपालों की मिलीभगत से दोनों प्लाट पर नींव खोद दी गई। डीएम की निर्देश पर की गई जांच में मामला सही पाए जाने पर पाया गया। तहरीर में नायब तहसीलदार ने बताया कि 12 जुलाई 2024 को अरुण व सुमन सहित मयंक तिवारी द्वारा इकरारनामा कर लिया गया। जो नियमों के विरुद्ध पाया गया। इसमें सुमन देवी लेखपाल अंकित तिवारी की मां है। मयंक तिवारी लेखपाल शशांक दुबे का साला है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सदर कोतवाल ललितेश त्रिपाठी ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। देवकली चौकी प्रभारी को जांच दी गई है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं अभिलेखागार में तैनात लेखपाल धरमवीर यादव को भी देर रात निलंबित कर दिया गया है। इनपर लेखागार से दस्तावेज देखने गए अधिवक्ता मदद का आरोप है। मामले की जांच प्रशासन कर रहा है। इस संबंध में लेखपाल शशांक दुबे, अंकित तिवारी से बात करने की कोशिश की तो फोन बंद मिला। लेखपाल अवनीश कुमार ने बताया कि मेरी न तो कोई संपत्ति है और न ही कोई रिश्तेदार शामिल है। हम लेखपाल थे और अपना काम कर रहे थे। लेखपाल धरमवीर यादव से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन हो नहीं सका। एडीएम महेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि अभिलेखागार में तैनात लेखपाल धरमवीर यादव को एसडीएम अजीतमल ने निलंबित कर दिया है।
वीडीओ की पत्नी ने व अन्य ने खरीदा था प्लाट
डीएम के निर्देश पर की गई जांच में सामने आया कि गांव खानपुर स्थित जालौन रोड पर गाटा संख्या 1283 व 1040 आपस में सटे हुए हैं। गाटा संख्या 1283 में अरुण कुमार तिवारी ने 11 जनवरी वर्ष 2013 में अपनी पत्नी सीतू तिवारी के नाम प्लाट खरीदा था। इसके छह दिन बाद 17 जनवरी को ग्राम विकास अधिकारी अरुण कुमार तिवारी के परिवार की प्रभा देवी ने भी एक प्लाट खरीद था। डीएम को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट है कि इन दो प्लाट के कागजों में हेराफेरी कर तीनों लेखपाल ने परिवार व रिश्तेदार के नाम इकरारनामा करा लिया था।
अभिलेख से छेड़छाड़ में दिबियापुर में दर्ज हुआ मुकदमा
देवकली मंदिर की जमीन लेखपालों द्वारा अपने रिश्तेदारों के नाम करने के मामले में जिला प्रशासन ने अभिलेख गायब करने का आरोप लगाया था। मामले में दिबियापुर पुलिस ने राजस्व अभिलेखपाल दिनेश कुमार की तहरीर पर सोमवार देर रात करीब 11 बजे अधिवक्ता जितेंद्र के खिलाफ सरकारी कागज के साथ छेड़छाड़, धोखाधड़ी सहित पांच से अधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस आरोपित की गिरफ्तारी को लेकर दबिश दे रही है।
आरोपियों पर यह धाराएं लगाई गई
आरोपितों के द्वारा जानबूझकर धोखाधड़ी और बेईमानी के साथ जमीन नाम करने के मामले में खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत 420 लगाई गई है। इसमें अधिकतम सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा जालसाजी कर दस्तावेज मूल्यवान जमीन का आपने नाम करने में 467 धारा लगाई गई। जिसमें आजीवन कारावास या 10 वर्ष की सजा व जुर्माना हो सकता है। किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक रिकार्ड को फर्जी तरीके से बनाकर धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल करने में आईपीसी 468 के तहत आजीवन कारावास व आर्थिक दंड का प्रावधान है। इसके अलावा जाली दस्तावेज को असली समझकर प्रयोग करने में पुलिस ने 471 धारा लगाई है। इसमें भी गिरफ्तारी के साथ कड़ी सजा का प्रावधान है। लोकसेवक द्वारा नौकरी के कर्तव्य के तहत दी गई संपत्ति के संबंध में आपराधिक विश्वासघात करने में धारा 409 में भी आजीवन कारावास के साथ जुर्माना का प्रावधान है। मामले में दो से अधिक लोगों के शामिल होने पर धारा 34 लगाया गया है। षड़यंत्र में शामिल होने में पुलिस 120 बी लगाई है। इसमें भी कड़ी सजा का प्रावधान है।
तीनों लेखपालों को निलंबित कर दिया गया है। मामले में दो अगल-अलग मुकदमा दर्ज करवाए गए है। एक सेक्रेटरी की पत्नी के नाम भी जमीन है। उस पर भी निलंबन की कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा गया है। मामले की जांच की जा रही है।
डा. इन्द्रमणि त्रिपाठी, डीएम