Sunday, May 4, 2025
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ईएसआईसी अस्पताल किदवईनगर में गहरी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें, निदेशक मौन

डॉ. रश्मी गुप्ता की कई बार हुई शिकायत, निदेशक से लेकर अब तक कार्रवाई नहीं हुई आरोप है कि असली मरीज़ इलाज के इंतज़ार में रहता है, फ़ार्ज़ी की तलाश के नाम की पर्ची बनी डॉक्टर रश्मी ने महँगी दवा का कारोबार किया

प्रमुख संवाददाता स्वराज इंडिया, कानपुर। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) अस्पताल,में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं।  पिछले दिनों  ईएसआईसी किदवईनगर में सुबह से ही डॉक्टर्स और स्टाफ के नदारद रहने की खबरों ने महकमे में हलचल मचा दी थी।  मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ रश्मि गुप्ता ने सफाई पेश की। दोषियों पर कार्रवाई को लेकर बयान दिया लेकिन ईएसआईसी अस्पताल में बीमित कर्मचारियों के इलाज़ को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों में खुद डॉ रश्मि गुप्ता कठघरे में खड़ी नज़र आई हैं। आरोप हैं कि डॉ रश्मि गुप्ता कभी अस्पताल समय पर नहीं आतीं हैं चूँकि वह खुद यहाँ सर्वेसर्वा हैं। उनपर यह भी आरोप है कि वे  फ़र्ज़ी मरीजों के नाम पर 15-20 पर्ची बनाकर बड़ी तादाद में सरकारी दवाओं की निकासी करातीं रहीं हैं, जिसकी शिकायत ईएसआईसी निदेशक से भी की गई लेकिन निदेशन ने खानापूरी करके मामला ठन्डे बस्ते में डाल दिया।  भ्रष्टाचार को लेकर मुखर रहने वाले फार्मासिस्ट यशोवर्धन सचान ने इस घोटाले को उजागर करते हुए 23 जनवरी 2025 को कर्मचारी राज्य बीमा श्रम चिकित्सा सेवाएं, सर्वोदय नगर निदेशक को लिखित शिकायत भेजी थी। उन्होंने बताया कि चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गुप्ता स्वयं दवाओं की पर्चियाँ बनवाकर कर्मचारी वासुदेव शुक्ला के माध्यम से औषधि वितरण काउंटर तक पहुंचवाती हैं, जहाँ से दवाओं की निकासी के लिए दवाब बनाया जाता है।  शिकायत के परिणाम स्वरूप  डॉ. हाशमी को इस मामले की जांच सौंपी गई।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 7 फरवरी 2025 को उन्होंने मौके पर पहुँचकर जांच का दावा किया और खानापूरी कर दी गई। इसबीच बीमित कर्मचारी लगातार अस्पताल के चक्कर लगाकर सरकारी सिस्टम की बदहाली पर आंसू बहते रहे। 

भ्रष्टाचार पर निदेशक गंभीर क्यों नहीं ?

ईएसआईसी निदेशक सुरेंद्र सिंह की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। सूत्रों के मुताबिक लगातार शिकायतें उन्हें भेजी गई, जांच को टीम गठित हुई बावजूद इसके  अस्पताल में न बीमित कर्मचारी मरीजों को सहूलियतें मिलीं और न ही डॉक्टर और स्टाफ समय पर मुस्तैद दिखे। पूरे स्टाफ की मनमर्जी और लापरवाही जगजाहिर होती दिखी। इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रश्मि गुप्ता  ने सभी आरोपों को निराधार बताया , कर्मचारी राज्य बीमा श्रम चिकित्सा सेवाएं, सर्वोदय नगर, निदेशक सुरेन्द्र सिंह को बीमित कर्मचारी ने अस्पताल में पनपी खामियों की शिकायत की तो निदेशक का उत्तर ऐसा था मनो इससे उनका कोई मतलब न हो , हमारे संवाददाता ने फोन पर निदेशक से सम्पर्क करना चाहा तो फोन कॉल ऑटो वाइस मेसेज पर डाल दी गई। 

कहने के लिए 5 फार्मासिस्ट, ड्यूटी का हिसाब नहीं  

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ईएसआईसी किदवईनगर अस्पताल में 5 फार्मासिस्ट तैनात किये गए हैं। मानवेन्द्र तिवारी, विनोद तिवारी, अर्चना सचान, यशोवर्धन सचान, ज्योत्स्ना शुक्ला, इनमे 3 ईएसआईसी के हैं और 2 श्रम से हैं। 1 फार्मासिस्ट फिजिकली फिट न होने चलते सेवा देने में असक्षम हैं। लेकिन बिना सेवा के इनकी ड्यूटी जारी है।  ड्यूटी के लिए कोई रोटेशन व्यवस्था लागू नहीं की गई है। फार्मासिस्ट यशोवर्धन सचान की औषधि वितरण में ड्यूटी है।

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