Wednesday, May 21, 2025
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रीजेंसी अस्पताल के रसूख के आगे बौने नियम कायदे!

विधायक सांगा ने उजागर की रीजेंसी अस्पताल की धांधली

पूर्व में की गई काली करतूत धीरे धीरे आ रही सामने

प्रसव में हुई लापरवाही को लेकर प्रार्थी ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा लेकिन रीजेंसी अस्पताल प्रबंधन ने रसूख से दबवा दिया था

स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो

कानपुर। चांद की चमक के जैसी शख्सियत रखने वाला रीजेंसी अस्पताल अब विधायक अभिजीत सिंह सांगा के विरोध के बाद अमावस की काली रात के अंधकार के जैसा होता जा रहा है। बीते दिनों कानपुर के बिठूर विधानसभा के विधायक अभिजीत सिंह सांगा के द्वारा अपने ट्विटर हैंडल से कानपुर के नामचीन अस्पताल रीजेंसी के खिलाफ अपने व्यक्तिगत लेटर पैड पर लिखकर एक प्रार्थना पत्र जारी किया गया था जिसमें विधायक के द्वारा रीजेंसी अस्पताल की मनमानी, धन उगाही तथा अनियमितता की शिकायत की गई थी। जिसमें जांच कमेटी जारी की गई और रीजेंसी से जवाब मांगा गया। विधायक के द्वारा रीजेंसी अस्पताल के मामले को लेकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को भी शिकायती पत्र मुलाकात करके सौंपा गया था। बिठूर विधायक रीजेंसी अस्पताल के खिलाफ अब अपने आक्रामक अवतार के साथ मैदान में उतर चुके हैं। जिसका असर उनके ट्विटर हैंडल पर सन् 2020 में अस्पताल के खिलाफ कोर्ट के माध्यम से मुकदमा लिखने के जारी किए गए आदेश की प्रतिलिपि के तौर पर देखा जा सकता है जिसे अस्पताल प्रशासन के द्वारा इतने लंबे समय के लिए फाइलों में दबवा दिया गया था।
सन् 2019 में रीजेंसी अस्पताल सर्वोदय नगर शाखा की प्रसूति विशेषज्ञ पूनम जैन की देख-रेख में सीमा नाम की गर्भवती युवती का इलाज चल रहा था। युवती के पति के अनुसार डॉक्टर महोदया के निर्देशानुसार कराईं गईं सभी जांचों की रिपोर्ट्स को जब डॉक्टर महोदया को सौंपा गया था तो उनके द्वारा जच्चा और बच्चा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं ऐसी जानकारी दी गई थी। युवक के द्वारा डॉक्टर महोदया के आदेश के अनुसार अपनी पत्नी सीमा को 03 अक्टूबर 2019 सुबह करीब 8:30 बजे रीजेंसी अस्पताल की गोविंद नगर शाखा में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टर अर्चना त्रिवेदी के द्वारा गर्भवती महिला सीमा को दर्द होने की दवा दी गई थी और कहा गया था कि कुछ देर में वह जाकर प्रसव कर देंगी। इसके बाद जब गर्भवती महिला भयानक दर्द से जिंदगी और मौत के बीच में जूझने लगी तो डॉक्टर अर्चना त्रिवेदी के द्वारा उसका प्रसव कराने में कई घंटे की देरी कर दी गई। युवक के द्वारा जब अपनी पत्नी की बिगड़ती हालत को देखते हुए अस्पताल में मौजूद अन्य डॉक्टरों से अर्चना त्रिवेदी की मौजूदगी की जानकारी ली गई तो डॉक्टरों के द्वारा युवक के साथ अभद्रता करते हुए यह बताया गया कि मैडम खाना खाने गईं हैं। दोपहर 2:00 के करीब से दर्द से कराहते हुए शाम के 7:00 गए तब जाकर अर्चना त्रिवेदी अस्पताल पहुंची और उन्होंने युवती का प्रसव कराया। इस बीच में युवती के पति के द्वारा अस्पताल में मौजूद अन्य डॉक्टरों से भी अपनी पत्नी के लिए मदद मांगी गई तो उनके द्वारा लापरवाह रवैया दिखाते हुए यह बोल दिया गया कि आपकी पत्नी का इलाज अर्चना त्रिवेदी के द्वारा ही किया जाएगा। आनन-फानन में अर्चना त्रिवेदी के द्वारा ऑपरेशन के माध्यम से युवती का प्रसव कराया गया जिसमें युवती का बच्चा बेहद नाजुक स्थिति में हुआ जिसकी सांसे भी ढंग से नहीं चल रही थीं। इसके बाद अस्पताल प्रशासन के द्वारा युवती के बच्चे को मशीन पर रख दिया गया और युवती को आईसीयू में दाखिल कर दिया गया 2 दिन के पश्चात युवक को यह खबर दी गई कि उसका बच्चा खत्म हो चुका है और इस बीच में युवक से अस्पताल प्रशासन के द्वारा लाखों रुपए उतार लिए गए।

पति-पत्नी के साथ हुई अभद्रता को लेकर थाना भी हुआ था लापरवाह-

अस्पताल प्रशासन के द्वारा स्वयं के साथ की गई अभद्रता के संदर्भ में युवक और उसकी पत्नी के द्वारा गोविंद नगर थाने में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ प्रार्थना पत्र दिया गया था जिसमें थाने के द्वारा लापरवाह रवैया को दिखाते हुए अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कोई भी अभियोग पंजीकृत नहीं किया गया था ना ही कोई कार्यवाही की गई थी। युवक के द्वारा महीनों थाने के चक्कर लगाए गए थे पर रीजेंसी अस्पताल के रसूख के आगे नतमस्तक पुलिस ने उल्टा प्रार्थी को ही कटघरे में खड़ा करने की तैयारी कर ली थी। इसके बाद प्रार्थी के द्वारा धारा 156(3) के तहत जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था जिसमें विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा गोविंद नगर थाने को अस्पताल के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत करने के लिए आदेशित किया गया था।

वर्चस्ववादी पद के बल पर दबवा दिया था कोर्ट का आदेश-

शहर के अंदर जब बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा के द्वारा रीजेंसी अस्पताल का जोरदार विरोध शुरू किया गया तो रीजेंसी अस्पताल के द्वारा भूतकाल में की गई काली करतूतें भी अब कागजों के तौर पर निकल कर सामने आना शुरू हो गई हैं। इसी कड़ी में सन् 2020 में अस्पताल के खिलाफ थाना गोविंद नगर को मुकदमा लिखने का किया गया कोर्ट का आदेश भी निकल कर सामने आया है जिसे विधायक के द्वारा अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से पोस्ट किया गया है। इससे यह साबित हो रहा है कि जहां एक ओर कानपुर की जनता के द्वारा रीजेंसी अस्पताल को उत्तर प्रदेश के नामचीन अस्पतालों की सूची में उठाकर रख दिया गया है तो वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन की दृष्टि में इस शहर की जनता सिर्फ धन कमाने का साधन है और कुछ नहीं।

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