(आंखों देखी महाकुंभ हादसा)

–त्रिवेणी घाट के पास श्रद्धालुओं के सैलाब को नियंत्रित करने में नाकाम दिखा मेला प्रबंधन
सेक्टर 3-4 से होकर जा रही थी करोडों की भीड
अनूप अवस्थी, स्वराज इंडिया
प्रयागराज।
महाकुंभनगर में चल रहे महामेले में मौनी अमावस्या की रात हुई भगदड से 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और सैकडों घायल हैं। इस घटना को लेकर योगी सरकार हिल गई। आनन फानन में मेला प्रबंधन की आपात बैठक के साथ कई कडे प्रतिबंध और नियम लागू किए गए। हालांकि, महामेले में इंतजाम ठीक थे। वहीं, हादसे वाली रात में ऐसे कौन से हालात बने थे जिसकी वजह से भगदड मची बता रहे स्वराज इंडिया के संवाददाता…।
हादसे के वक्त स्वराज इंडिया के संवाददाता भी संगम नोज के जाने वाले रास्ते पर 3 सौ मीटर की दूरी पर मौजूद थे। मौनी अमावस्या में ब्रम्हमूहर्त समय में स्नान करने के लिए जन समुंद्र का रेला चल रहा था। करोडों की भीड लगातार संगम नोज की ओर बढ रही थी, भीड ऐसी थी कि पैर रखने की जगह नहीं थी। इसी बीच समय करीब 1.30 बजे के आसपास का रहा होगा, तेजी से इमरजेंसी सायरन के साथ एंबुलेंस की गाडियां दौडनी लगती है। इसके बाद मेले में हलचल हो गई लेकिन घटना के बारे में किसी को पता नहीं चला। ग्रीन कारीडोर बनाकर एंबुलेंस को तेज स्पीड में निकाला जा रहा था। इसके बाद हादसे की खबर फैली, पास में पन्नी बिछाए लेटा परिवार जिसमें कुछ बुजुर्ग महिलाएं थीं। उन्होने संगम नहाने का विचार त्यागकर वहीं पर गंगाजल छिडककर लौट गई। इसके बाद रिपोर्टर जनसैलाब के साथ घटनास्थल की ओर जाने के लिए आगे बढने लगा। संगम नोज से पहले एक भारी गेट जिसपर गंगा-यमुना सरस्वती की फोटो लगी हुई हैं। उसके आगे बढने के बाद भीढ का अनियंत्रित दबाव देखा गया। उस समय भी कई बार हालात नियंत्रण के बाहर दिखे। सुरक्षा कर्मी असहाय थे, कोई किसी की नहीं सुन रहा था, भीड आगे बढती जा रही थी। संगम नोज-त्रिवेणी घाट से पहले हजारों की संख्या में भगदड के बाद जूते चप्पल, कपडे बिखरे नजर आए। घटना के बाद भी वहां पर कोई नियंत्रण नहीं था, भीड घाट की ओर घुसना चाहती थी लेकिन बेरीकेडिंग के चलते समझ नहीं आ रहा था किधर जाया जाए, वहीं, नहाना कर लौट रहे लोग भी उसी भीड में धक्का मुक्की करते हुए निकलने का प्रयास कर रहे थे। इससे हालात विकराल बने रहे।


त्रिवेणी घाट पर की गई बेरीकेडिंग हादसे की सबसे बडी वजह
मेला प्रशासन द्वारा घाट की ओर जाने वाले रास्ते बेरीकेडिंग और जालियों से बंद कर दिए थे, इससे श्रद्धालु घुस नहीं पा रहे थे, इसी के आगे पीपे का पुल बनाया गया था लेकिन प्रबंधन भीड को पीपे के पुल की ओर नहीं मोड पाई। श्रद्धालुओं की अपार भीड बेरीकेडिंग से ही चढकर घाट की ओर घुस गई। घाट पर चार स्तर से बेरीकेडिंग लगी हुई थी, इससे भी दिक्कतो का सामना करना पडा। बेरीकेडिंग फांदने के चलते कई लोग जख्मी हो गए। उधर भीड घाट की ओर घुसने लगी तो निकासी वाला छोटा सा मार्ग भी बंद हो गया, इससे हालात बेकाबू नजर आए।

अखाडों के स्नान के लिए आरक्षित जगह से सिमटे मार्ग
संगम नोज यानि त्रिवेणी घाट पर अखाडों एवं वीआईपी के लिए बेरीकेडिंग से काफी बडा एरिया घेरा गया था, इससे वहां पर आवागमन के लिए जगह कम पड गई। मेला प्रबंधन की यहां पर चूक गया कि भीड को स्टेशन और अन्य मार्ग से दूसरी ओर मोड देता तो थोडा सुधार हो सकता था।
दो बडे हिस्से में भेजा श्रद्धालुओं का जनसमुंद्र
संगम क्षेत्र 15-20 किमी से अधिक क्षेत्रफल में बना हुआ है। पूर्वोत्तर इलाके बनारस, कोलकाता, चेन्नई, बिहार की ओर से बस और ट्रेन आने वाली भी भीड को संगम नोज झूसी क्षेत्र में डायवर्ट किया गया था। वहीं, कानपुर, झांसी, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात वाली भीड को प्रयागराज जंक्शन से मेले की ओर जा रही थी। उसको मेले से 6 किमी पहले अन्य सेक्टर की ओर डायवर्ट किया गया था।