स्वराज इंडिया : संवाददाता /अयोध्या

राम की नगरी अयोध्या में एक बड़ा ज़मीन घोटाला सामने आया है। रमाकांत नाम के एक व्यक्ति ने कूटरचित दस्तावेज़ों के दम पर लगभग एक हेक्टेयर यानी 40 करोड़ रुपए की बंजर सरकारी ज़मीन का फर्जी बैनामा करवा लिया। जब ज़िला प्रशासन की नींद टूटी तो पूरे महकमे में हड़कंप मच गया।
आरोपी रमाकांत ने खुद को बाग बिजासी (कोतवाली अयोध्या) का निवासी बताया, और चार अलग-अलग प्लॉट में फैली सरकारी भूमि पर दस्तावेज़ी कब्ज़ा कर लिया। जांच के बाद खुलासा हुआ कि पूरा बैनामा ही फर्जी और कूटरचित था, जिसके बाद राजस्व परिषद ने तुरंत बैनामा निरस्त कर दिया और कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई।
एसडीएम सदर राम प्रकाश तिवारी के अनुसार, भूमि की बाजारू कीमत करीब 40 करोड़ रुपए है और मामले की तहकीकात तहसीलदार धर्मेंद्र सिंह को सौंपी गई है। दस्तावेजों की पड़ताल में राजस्व निरीक्षक सुभाष चंद्र मिश्र और रवि प्रकाश श्रीवास्तव की संलिप्तता भी उजागर हुई है। इन दोनों पर जल्द बड़ी कार्रवाई हो सकती है। फिलहाल रमाकांत फरार है। उसका सही पता तक प्रशासन को नहीं मालूम। ज़िला प्रशासन अब जमीन खरीद-बिक्री से जुड़े रजिस्ट्री कार्यालयों और बिचौलियों से इनपुट जुटा रहा है। सवाल ये भी उठ रहा है कि ऐसा फर्जीवाड़ा अधिकारियों की मिलीभगत के बिना मुमकिन ही नहीं था।
ऐसा कोई पहला मामला नही
अयोध्या में इससे पहले भी जमीन के कागजों में हेराफेरी कर चार बीघा भूमि को 600 बीघा दिखाने जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। स्वराज इंडिया का सवाल है कि
“ज़मीन भगवान की… और मुनाफ़ा माफिया का?”
क्या सिर्फ रमाकांत ही दोषी है या पूरा तंत्र दलाल बन चुका है? ।