कानपुर/लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की छुट्टी 30 जून तक बढ़ा दी गई है जबकि शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों एवं अन्य कर्मचारियों को 16 जून से स्कूल पहुंचना है। बेसिक शिक्षा परिषद के इस आदेश को लेकर जहां एक ओर शिक्षक संगठनों में नाराजगी है वहीं दूसरी ओर कई एमएलसी, विधायक भी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने भीषण गर्मी को देखते हुए परिषदीय विद्यालयों को 30 जून तक पूरी तरह बंद रखने की मांग की है। एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह, विधायक बाबूलाल तिवारी, सभापति राज बहादुर सिंह चंदेल, विधायक आशुतोष सिन्हा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिक्षकों के लिए भी गर्मी की छुट्टियां 30 जून तक बढ़ाने की मांग की है। एमएलसी ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि प्रदेश में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण अब तक हीट स्ट्रोक से आठ लोगों की मृत्यु हो चुकी है और मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में तापमान में और वृद्धि की संभावना जताई है। ऐसे में शिक्षकों को दूर-दराज के विद्यालयों तक जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा जबकि छात्र विद्यालय नहीं आ रहे हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि स्कूल संबंधी अन्य कार्य स्मार्टफोन के माध्यम से घर से ही संपन्न किए जा सकते हैं।देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए शिक्षकों को भी 30 जून तक ग्रीष्मावकाश देने का आदेश जारी किया जाए। विधायक आशुतोष सिन्हा ने लिखा है कि वर्तमान में प्रदेश के कई जिलों में तापमान 40 से 50 डिग्री सेल्सियस है। इसका विपरीत असर शिक्षकों के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। ऐसे में बिना किसी काम के शिक्षकों को स्कूल बुलाने का निर्णय अव्यवहारिक है। शिक्षकों के लिए भी ग्रीष्मकालीन अवकाश 30 जून तक बढ़ाया जाए। राजबहादुर सिंह चंदेल ने अपने पत्र में लिखा है कि हीट स्ट्रोक से प्रदेश में लगातार लोगो की मौत की खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहीं है। मौसम विभाग की सूचना के अनुसार गर्मी और भी बढ़नी हैं शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को जिले के दूर-दराज स्थित स्कूलों में आना-जाना होता है। बच्चों के स्कूलों में न रहने से शिक्षकों की भाग-दौड़ का कोई औचित्य नहीं है।
प्रदेश में बहुत से विद्यालय एकल शिक्षक वाले भी हैं। ऐसे में शिक्षकों की सुरक्षा भी एक प्रमुख बिंदु है। इसे देखते हुए विद्यालय शिक्षकों के लिए भी एक जुलाई से ही खोले जाएं।