Friday, August 22, 2025
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने आपातकाल पर किया मौन प्रदर्शन


स्वराज इंडिया : संवाददाता / कानपुर


बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कानपुर महानगर के कार्यकर्ताओं द्वारा आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कंपनी बाग चौराहा पर मौन विरोध प्रदर्शन व मशाल जुलूस यात्रा का आयोजन किया गया। महानगर मंत्री मयंक पासवान ने सभी को संबोधित करते हुए बताया कि 1975 में आज के ही दिन भारतीय संविधान को दरकिनार कर आपातकाल को थोपा गया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आज मशाल के माध्यम से यह संदेश देना चाहती है कि हमें यह स्मरण रहे की 25 जून 1975 की भांति लोकतंत्र की हत्या फिर कभी इस देश में न की जाए जिस प्रकार से यह दिन हमारे इतिहास का काला अध्याय है उसे याद करना व उससे सबक लेना हमारे लिए अत्यधिक आवश्यक है इसके अतिरिक्त यह भी ध्यान रखना चाहिए की 25 जून 1975 को लागू किए गए आपातकाल के दौरान विशिष्ट व्यक्तियों के साथ जिस प्रकार दुर्व्यवहार व बर्बरता की गई वह आज भी हम सभी को पीड़ा देती है। आपातकाल देश की न्यायपालिका के अनादर का भी जीता जागता उदाहरण रहा है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य गरिमा त्रिवेदी ने बताया कि 25 जून 1975 की रात को देश की आत्मा को कुचलना का काम तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया व देश के पत्रकार बन्धुओं की आवाज को दबाकर संपूर्ण जनमानस को तत्कालीन सरकार द्वारा क्रूर यातनाओं के सुपुर्द कर दिया गया था। देश के महापुरुषों को जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया था। पूरे देश को जेल खाना बना दिया गया था। उन्होंने बताया कि लोकतंत्र के प्रति आस्था का क्या महत्त्व है यह समझाने के लिए भी लोकतंत्र पर किस प्रकार प्रहार हुआ था यह स्मरण करना भी जरुरी है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस मशाल जुलूस के माध्यम से यह संदेश देना चाहती है कि हम संपूर्ण देश को पुनः उस दौर में न जाने दें व उस समय के परिणामों को सदैव याद भी रखें। प्रान्त मीडिया संयोजक दिनेश यादव ने बताया कि आज 50 वर्षों के पश्चात भी कांग्रेस द्वारा आपातकाल के लिए देश के नागरिकों से क्षमा न मांगना व देश के साथ किए गए विश्वासघात पर खेद तक प्रकट न करना बहुत ही निन्दनीय है। इस दौरान प्रथमेश, उज्ज्वल, गजराज, सुधांशु, एल्विन, खुशी गुप्ता, विभाग संगठन मंत्री ज्ञानेंद्र सिंह, हर्ष राजपूत, ज्ञानेंद्र शुक्ल, उपेन्द्र चक, राघवेन्द्र, गुंजन, रामजी, सुशांत मिश्रा, माधव राजपूत, ओम नारायण त्रिपाठी, हर्ष सिंह, नैतिक, प्रभात कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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