स्वराज इंडिया : अनूप अवस्थी / कानपुर
डीएम-सीएमओ विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह से विवाद के बाद सस्पेंड किए गए सीएमओ डा. हरिदत्त नेमी को हाईकोर्ट के आदेश पर शासन ने बुधवार को बहाल कर दिया है। वर्तमान सीएमओ डा. उदयनाथ को पूर्व तैनाती श्रावस्ती जनपद में अपर सीएमओ के पद पर भेज दिया गया। ऐसे में आसार हैं कि डा. नेमी कानपुर में फिर से सीएमओ के पद पर कुर्सी संभाल सकते हैं।
दरअसल कानपुर डीएम-सीएमओ विवाद पर जमकर राजनीति हुई है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सहित कई विधायकों ने सीएमओ डा. नेमी के पक्ष में पत्र लिखे थे लेकिन वहीं कुछ सत्ताधारी विधायकों ने सीएमओ के खिलाफ पत्र शासन को भेजे थे। इसके बाद 19 जून 2025 को सीएमओ डा. नेमी को विभागीय अनियमिततओं में आरोपित करके सस्पेंड कर दिया गया था। कानपुर में नए सीएमओ के तौर पर श्रावस्ती जनपद के अपर सीएमओ डा. उदयनाथ को यहां पर तैनाती दी गई थी। इस कार्रवाई के खिलाफ डा. हरिदत्त नेमी हाईकोर्ट की लखनउ बेंच में याचिका दाखिल की थी। डा0 नेमी बनाम उप्र सरकार के वाद में हाईकोर्ट ने डा. नेमी के निलंबन पर रोक लगाई गई थी। इसके बाद सीधे कानपुर पहुंचकर सीएमओ की कुर्सी पर बैठ गए थे लेकिन शासन से आर्डर नहीं आने की बात कहकर अगले दिन सीएमओ कार्यालय से वापस कर दिया गया था। इस तरह से कानपुर में प्रशासनिक माहौल खराब रहा था। दोनों अफसर विवाद करते नजर आ रहे थे।
अवमानना से बचने के लिए जारी हुए तत्काल पत्र
जिददी स्वभाव के डा. हरिदत्त नेमी को जब कानपुर में सीएमओ के पद पर ज्वाइन नहीं करने दिया गया तो वह सीधे फिर हाईकोर्ट पहुंचे। यहां पर अवमानना वाद दायर कर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य उप्र, डीएम कानपुर, डा. उदयनाथ, एडीएम सिटी राजेश कुमार और एसीपी अभिषेक पांडेय को पार्टी बनाया गया। इसपर हाईकोर्ट ने 17 जुलाई 2025 को सुनवाई की तिथि तय की है। हालांकि, चिकित्सा अनुभाग उप्र के विशेष सचिव आर्यका खकौरी ने डा. नेमी की बहाली के लिए 16 जुलाई को पत्र जारी किए हैं। ऐसे में हाईकोर्ट की नाराजगी से बचने का पूरा प्रयास किया गया है।
डीएम बनाम सीएमओ का मुददा बना चर्चा
कानपुर में डीएम-बनाम सीएमओ का मुददा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। अधिकारियों की लडाई को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चुटकी लेते हुए कहा था कि उप्र में डबल इंजन की सरकार में डिब्बे भी टकरा रहे हैं। इसके अलावा उन्होने अफसरों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए थे। अधिकारियों के आपसी टकराव से योगी सरकार की छवि पर विपरीत असर जा रहा है।