महानिदेशक यूपी स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को आदेश जारी कर कहा है कि शिक्षकों को स्कूल शुरू होने से 15 मिनट पहले आना होगा और पढ़ाने के बाद 30 मिनट तक स्कूल में ही रुकना होगा

एसी कमरों में बैठकर कब तक जारी होंगे अव्यवहारिक फरमान
मुख्य संवाददाता, स्वराज इंडिया
लखनऊ/कानपुर। हाल ही में महानिदेशक ने टाइम एंड मोशन स्टडी को लेकर एक आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि निर्धारित समय से स्कूल न पहुंचने वाले परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों पर अब कार्यवाही होगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि शिक्षकों को स्कूल शुरू होने से 15 मिनट पहले आना होगा और पढ़ाने के बाद 30 मिनट तक स्कूल में ही रुकना होगा। स्कूल समय में कोई भी शिक्षक स्कूल छोड़कर किसी भी कार्य के लिए नहीं जाएगा। आदेश न मानने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी और गैर शैक्षणिक कार्यों को स्कूल की समाप्ति के बाद ही किया जाए। टाइम एंड मोशन स्टडी के आधार पर सभी स्कूलों को 240 शिक्षण दिवस के लक्ष्य को पूरा करना होगा। एसी में बैठकर साहब तुगलकी फरमान जारी कर रहे हैं जिससे शिक्षक अपने पदेन दायित्वों के निर्वहन में असहज महसूस कर रहे हैं। आला अधिकारियों ने बेसिक शिक्षा परिषद को प्रयोगशाला बना दिया है। तमाम विद्यालय दुर्गम क्षेत्रों में हैं जहां आवागमन का कोई साधन नहीं है। कई जगह पगडंडी वाला रास्ता है। जहां किसी वाहन से चल पाना संभव नहीं है। बरसात के दिनों में कुछ विद्यालय जलमग्न हो जाते हैं। स्कूल शिक्षा महानिदेशक के आदेश पर जनपद में पिछले एक वर्ष से लगातार निरीक्षण कार्य चल रहा है। इसमें बमुश्किल एक प्रतिशत शिक्षक ही एक या दो मिनट देरी से आते पाए गए हैं उसके बावजूद डिजिटल हाजिरी पर जोर दिया जा रहा है जोकि अव्यावहारिक है। पत्र में शिक्षण अवधि के पश्चात बैंक जाने का आदेश है लेकिन 3.30 के बाद स्कूल से छूटने पर बैंक तक पहुंचते पहुंचते बैंक बंद हो जाते हैं यानी शिक्षक सीएल लेकर बैंक जाएं। अगर शिक्षक को एनओसी लेना है या स्पष्टीकरण या अन्य कार्य हेतु विद्यालय अवधि के बाद बीआरसी या बीएसए आफिस जायेगा तो स्कूल से वहां तक पहुंचते पहुंचते आफिस बन्द हो जाता है। पहुंचने पर अक्सर न तो बीईओ मिलते हैं और न ही बीएसए साहब, वे प्रायः मीटिंग में होते हैं। फल-दूध एमडीएम आदि की व्यवस्था के लिए विद्यालय अवधि में बाजार नही जा सकते। विद्यालय अवधि के बाद जाने पर व्यवस्था गड़बड़ हो जाती है। बेसिक के विभागीय अधिकारियों की मीटिंग हमेशा 5 बजे के बाद होनी चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है जिस कारण कई बार शिक्षक अपने अधिकारियों से मिलने के लिए कार्यालय के चक्कर ही काटता रह जाता है। संकुल मीटिंग, पीटीएम, एसएमसी मीटिंग शिक्षण अवधि के बाद होगी जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो लेकिन बोर्ड परीक्षा ड्यूटी या अन्य में ड्यूटी लगाए जाने पर क्या शिक्षण कार्य बाधित नहीं होता है। एआरपी, केआरपी, एसआरजी, डीसी बनाकर नियुक्ति विद्यालय से हटाकर सपोर्टिव सुपरविजन में लगाने से क्या बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होती है। परिषदीय शिक्षकों के लिये ही अनोखा नियम लागू किया गया है कि उनसे कहा जाता है कि अपने व्यक्तिगत विभागीय कार्य के लिए भी उच्च अधिकारियों से मिलना हो तो आकस्मिक अवकाश लेकर जाएं जबकि अन्य विभागों में ऐसा नहीं है। एक चक्कर में न तो अधिकारी मिलते हैं और न ही कार्य हो पाता है अगर अधिकारी मिल भी जाते हैं तब भी कार्य एक बार में नहीं करते, क्या आला अधिकारियों को इसमें सुधार करने की आवश्यकता नहीं है।